अपनी मां की हत्या में दोषी करार दिए गए बेटे की अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। अपीलार्थी योगेश कुमार के खिलाफ अलीगढ़ के क्वार्सी थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। जिसमें सुनवाई के बाद सत्र न्यायालय ने उसे हत्या का दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है। योगेश की अपील पर न्यायमूर्ति बी अमित स्थालकर और न्यायमूर्ति शेखर यादव ने सुनवाई की। अपीलार्थी का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि सत्र न्यायालय ने एक मात्र चश्मदीद गवाह अर्जेश कुमार की गवाही पर विश्ववास कर सजा सुनाई है। अर्जेश कुमार का कहना है कि उसने अपीलार्थी को उसके घर के दरवाजे की झिर्री से झांक कर देखा था। पड़ोस स्थित उसके मकान से गोली चलने की आवाज सुनकर वहां गया था।  

वह मकान की पहली मंजिल से हाथ में तमंचा लेकर उतर रहा था और फिर तहखाने की ओर तमंचा छुपाने चला गया। अधिवक्ता का कहना था कि उस वक्त रात के पौने 12 बज रहे थे। दरवाजे की झिर्री से इस प्रकार से घटना को देखपाना संभव नहीं है वह रात के वक्त। गवाह का बयान विश्वसनीय नहीं है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा की इस मामले के अधिकतर गवाह पक्षद्रोही घोषत हो चुके हैं। कोर्ट ने घटना के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए योगेश को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here