त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में कौन सी पार्टी है कितनी मजबूत? जानिए तीनों राज्यों के राजनीतिक समीकरण

सभी तीन पूर्वोत्तर राज्यों में सबसे दिलचस्प लड़ाई त्रिपुरा में होने की उम्मीद है। साल 2018 के चुनाव में पहली बार बीजेपी अपने दम पर बहुमत के आंकड़े को पार किया था।

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Chhattisgarh Congress Crisis
Chhattisgarh Congress Crisis

Assembly Polls 2023: इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन राज्यों के चुनाव परिणाम 2024 के संसदीय चुनाव के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। इन नौ राज्यों में से चार पूर्वोत्तर में स्थित हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों को बीजेपी पहली बार प्रमुख क्षेत्रीय खिलाड़ियों की भरपूर सहायता से पीएम मोदी के नेतृत्व में अपने प्रभाव में लाने में सक्षम रही है। तीन पूर्वोत्तर राज्यों – नागालैंड, मेघालय और त्रिपुरा में 16 से 27 फरवरी के बीच मतदान होगा। तीनों राज्यों के नतीजे 2 मार्च को आएंगे। त्रिपुरा में इस वक्त बीजेपी की सरकार है तो वहीं मेघालय और नागालैंड में बीजेपी सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा है। यानी तीनों राज्यों में बीजेपी के सामने सत्ता बचाने की चुनौती है। इस चुनावी मौसम में क्या चल रहा है, इस पर एक नज़र डालने के लिए, तीनों राज्यों के सियासी समीकरण जानते हैं:

मेघालय की बात

मेघालय की 60 सदस्यीय विधानसभा में एक ही चरण में चुनाव होने हैं, जैसा कि 2018 में 27 फरवरी को हुआ था। पिछले चुनावों में त्रिशंकु जनादेश आया था। हालांकि मुकुल संगमा के नेतृत्व वाली दो बार की कांग्रेस सरकार 21 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। वहीं नेशनलिस्ट पीपुल्स पार्टी 19 सीटें जीतने में सफल रही। बीजेपी, पहली बार ईसाई-बहुल राज्य में सिर्फ दो सीट जीत सकी।

हालांकि, 21 सीटों के साथ राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने वाली कांग्रेस के हाथ से सत्ता फिसल गई थी। बीजेपी ने महज 2 सीटें पाने के बाद भी एनपीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। एनपीपी के अध्यक्ष कोनराड के संगमा को मुख्यमंत्री बनाया गया था। पिछले चुनाव में कांग्रेस को 29 प्रतिशत वोट मिले थे। एनपीपी को 21 प्रतिशत जबकि बीजेपी को 10 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे। वहीं अन्य के हिस्से में सबसे ज्यादा 40 प्रतिशत वोट गए थे। हालांकि, समय के साथ, बीजेपी और एनपीपी के बीच संबंधों में खटास आ गई। बीजेपी के राज्य उपाध्यक्ष, बर्नार्ड आर. मारक की गिरफ्तारी के बाद विवाद बहुत बढ़ा। मारक और मुख्यमंत्री कोनराड संगमा एक ही शहर ‘तुरा’ से ताल्लुक रखते हैं और काफी समय से उनके बीच संबंध अच्छे नहीं रहे हैं।

बाद में बीजेपी ने एनपीपी के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लेने की मांग की। उस पर कुशासन का आरोप लगाया। मेघालय में बीजेपी भले ही NPP के साथ सत्ता में हो, लेकिन इस बार समीकरण काफी बदल चुका है। बीजेपी और एनपीपी के बीच कई मुद्दों को लेकर सामंजस्य नहीं बैठ रहा है।

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Assembly Polls 2023

नागालैंड के कैसे हैं समीकरण?

नागालैंड में NDPP और बीजेपी गठबंधन की सरकार है। NDPP सुप्रीमो नेफ्यू रियो राज्य के मुख्यमंत्री हैं। 2018 के चुनाव से ठीक पहले नेफ्यू रियो ने NPF को तोड़कर NDPP बना ली और बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इस साल भी दोनों सहयोगी दल मिलकर चुनाव लड़ रही है। NDPP 40 और बीजेपी 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। गौरतलब है कि नागालैंड में कुल 60 सीटें हैं। पिछले चुनाव में NPF सबसे ज्यादा 27 सीटें जीतकर राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आयी थी। एनडीपीपी को 18 सीट जबकि बीजेपी को 12 सीटें मिली थीं। फिलहाल सरकार में एनडीपीपी, बीजेपी NPEP और JDU शामिल हैं। 2018 के चुनाव में नागालैंड में एनपीएफ को सबसे ज्यादा 39 प्रतिशत वोट मिले। वहीं एनडीपीपी को 25, बीजेपी को 15 और अन्य को 21 प्रतिशत वोट मिले थे। इस साल होने जा रहे चुनाव में बीजेपी और एनडीपीपी एक बार फिर एक साथ मतदाताओं के पास जा रहे हैं।

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Assembly Polls

त्रिपुरा में क्या है सियासी गुणा-भाग?

सभी तीन पूर्वोत्तर राज्यों में सबसे दिलचस्प लड़ाई त्रिपुरा में होने की उम्मीद है। साल 2018 के चुनाव में पहली बार बीजेपी अपने दम पर बहुमत के आंकड़े को पार किया था। पिछले चुनावों में, भाजपा ने अनुभवी नेता एन.सी. देबबर्मा के नेतृत्व वाली आदिवासी पार्टी, इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के साथ एक मजबूत गठबंधन किया था, ताकि वामपंथियों की हार सुनिश्चित हो सके। माणिक सरकार के नेतृत्व वाले वामपंथियों के 20 साल के शासन को देखते हुए बदलाव के लिए आवाज बुलंद करने की जमीनी परिस्थितियां बीजेपी के लिए एक नई पार्टी होने के नाते आसान थीं। मोदी फैक्टर भी राज्य में काम आया। हालांकि, राज्य में चुनाव के बाद बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आईपीएफटी की बिल्कुल आवश्यकता नहीं थी, लेकिन बीजेपी ने क्षेत्रीय पार्टी को उपमुख्यमंत्री का स्थान दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि न तो कांग्रेस और न ही वामपंथी और न ही किसी नई क्षेत्रीय ताकत को सियासी उपद्रव मचाने की कोई गुंजाइश मिले। बता दें कि पिछले चुनाव में त्रिपुरा में बीजेपी को 44 प्रतिशत वोट मिले थे। बीजेपी चुनाव में अकेले बहुमत तो लाई थी लेकिन उसका वोट प्रतिशत लेफ्ट पार्टियों से मामूली अंतर से आगे था। सीपीएम के नेतृत्व वाले लेफ्ट को भी 44 प्रतिशत वोट मिले थे। आईपीएफटी को 7 प्रतिशत जबकि 5 प्रतिशत वोट अन्य को मिले थे।

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