SCO Summit 2022: क्यों अहम है SCO की बैठक, जहां शामिल होने पहुंचे हैं पीएम मोदी

इस बार ये SCO समिट इसलिए भी खास है, क्योंकि कोविड के दौर के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहली बार अपने देश से बाहर किसी अंतरराष्ट्रीय समिट में हिस्सा लेने जा रहे हैं।

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SCO Summit 2022: क्यों अहम है SCO की बैठक, जहां PM मोदी के साथ पुतिन-जिनपिंग पहुंचे हैं
SCO Summit 2022: क्यों अहम है SCO की बैठक, जहां PM मोदी के साथ पुतिन-जिनपिंग पहुंचे हैं

SCO Summit 2022: उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई कोऑपरेशन (SCO) की बैठक हो रही है। इस समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत दुनिया के कई दिग्गज नेता जुटे हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय बातचीत भी होगी। करीब 2 साल बाद उज्बेकिस्तान के समरकंद में SCO की शिखर वार्ता हो रही है। कोरोना महामारी के कारण फिजिकल समिट हो नहीं सका था।

SCO Summit 2022: क्यों अहम है SCO की बैठक, जहां PM मोदी के साथ पुतिन-जिनपिंग पहुंचे हैं

इस बार ये SCO समिट इसलिए भी खास है, क्योंकि कोविड के दौर के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहली बार अपने देश से बाहर किसी अंतरराष्ट्रीय समिट में हिस्सा लेने जा रहे हैं। दूसरी अहम वजह ये है कि यूक्रेन युद्ध के बाद ये पहला मौका होगा जब पुतिन और जिनपिंग की मुलाकात होगी। पीएम नरेंद्र मोदी भी इस दौरान पुतिन के अलावा उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे।

SCO Summit 2022: SCO क्या है?

यह बैठक सबसे पहले अप्रैल 1996 में हुई। इसमें चीन, रूस, कजाकस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान शामिल हुए। इस बैठक का मकसद था आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए सहयोग करना। तब इसे शंघाई फाइव कहा गया। हालांकि, इसका सही मायनों में गठन 15 जून 2001 को हुआ था। तब चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना की। इसके बाद नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के अलावा कारोबार और निवेश बढ़ाना भी मकसद बन गया।

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1996 में जब शंघाई फाइव का गठन हुआ, तब इसका मकसद चीन और रूस की सीमाओं पर हो रहे तनाव को कैसे रोका जाए और कैसे उन सीमाओं को सुधारा जाए। ऐसा इसलिए था क्योंकि उस समय बने नए देशों में तनाव था। ये मकसद सिर्फ तीन साल में ही हासिल हो गया, इसलिए इसे सबसे प्रभावी संगठन माना जाता है।

कितना ताकतवर है SCO?

शंघाई सहयोग संगठन में 8 सदस्य देश शामिल हैं। इनमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान हैं। इनके अलावा चार पर्यवेक्षक देश- ईरान, अपगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया हैं।

इस संगठन में यूरेसिया यानी यूरोप और एशिया का 60% से ज्यादा क्षेत्रफल है। दुनिया की 40 फीसदी से ज्यादा आबादी इसके सदस्य देशों में रहती है। साथ ही दुनिया की जीडीपी में इसकी एक-चौथाई हिस्सेदारी है। इसके साथ ही, सदस्य देशों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो स्थायी सदस्य (चीन और रूस) और चार परमाणु शक्तियां (चीन, रूस, भारत और पाकिस्तान) शामिल हैं।

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भारत का क्या है रोल?

2005 में कजाकिस्तान के अस्ताना में हुई समिट में भारत, पाकिस्तान, ईरान और मंगोलिया ने भी हिस्सा लिया। ये पहली बार था जब SCO समिट में भारत शामिल हुआ था। 2017 तक भारत SCO का पर्यवेक्षक देश रहा। 2017 में SCO की 17वीं समिट में संगठन के विस्तार के तहत भारत और पाकिस्तान को पूर्णकालिक सदस्य का दर्जा दिया गया। SCO को इस समय दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन माना जाता है। इस संगठन में चीन और रूस के बाद भारत सबसे बड़ा देश है।

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