रूस ने चीन और पाकिस्तान को जोर का झटका देते हुए भारत के न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) की सदस्यता का समर्थन किया है। इसके साथ ही रुस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने भारत के वासेनर समझौते में शामिल होने की संभावना जताई है। यह समझौता पारंपरिक हथियारों और इसके दोहरे उपयोग के सामान व प्रौद्योगिकियों के लिए निर्यात नियंत्रणों पर नियम निर्धारित करता है।

रयाबकोव ने बुधवार को विदेश सचिव एस,जयशंकर से मुलाकात की। इसके बाद रयाबकोव ने साफ तौर पर कहा कि एनएसजी सदस्यता के लिए भारत और पाकिस्तान दोनों के आवेदन आए हुए है। लेकिन भारत व पाकिस्तान के एनएसजी सदस्यता के आए आवेदन पत्रों की तुलना नहीं की जा सकती है।

रयाबकोव ने कहा, ‘एनएसजी सदस्यता की दावेदारी के लिए पाकिस्तान के आवेदन पर कोई सर्वसम्मति नहीं है और इसे भारत की दावेदारी के साथ नहीं जोड़ा जा सकता।’ इसके साथ ही कहा कि एनएसजी के लिए भारत के प्रमाण-पत्र त्रुटिहीन है। जबकि पाकिस्तान के संबंध में ऐसा नहीं है।

रयाबकोव ने पाकिस्तान के लिए कहा कि वो अभी एनएसजी सदस्यता के लिए दावा नहीं कर सकता है। भारत की सदस्यता का समर्थन करते हुए कहा कि भारत का रिकॉर्ड परमाणु परीक्षण के मामले में गैर-प्रसार वाला है। जबकि पाकिस्तान वैश्विक परमाणु व्यापार के नियमों के अंतर्गत एनएसजी सदस्यता के लिए दावा नहीं कर सकता है।

रयाबकोव ने कहा कि हमने आज भारत के भावी एनएसजी सदस्यता पर चर्चा की है। रूस भारत की सदस्यता का एक प्रबल प्रस्तावक है।

आगे कहा कि हम इस तथ्य को स्वीकार करते है कि पाकिस्तान के आवेदन के संबंध में एकमत होने के लिए फिलहाल कोई संभावना नहीं है। इसलिए भारत व पाकिस्तान के आवेदनों को आपस मे जोड़ना नहीं चाहिए।

हाल के वर्षों में देखा गया है कि रूस और भारत काफी करीब आ रहे है और साथ ही इनके संबंध भी मजबूत हो रहे है। अगर पाकिस्तान की बात की जाए तो उसका समर्थन करने वाला चीन है जबकि रूस ने भी पाकिस्तान से दूरी बनाए रखी है।

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