प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के बीच शनिवार (17 फरवरी)  को मुलाकात हुई। इस दौरान सुरक्षा, व्यापार तेल, गैस, बैंकिंग और ऊर्जा के प्रमुख क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों पर दोनों पक्षों सार्थक बातचीत हुई। इसके बाद दोनों पक्षों ने 9 समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

दोनों पक्षों ने नौ समझौतों पर दस्तखत किए जिसमें दोहरे कराधान से जुड़ा एक समझौता भी शामिल है। चाबहार बंदरगाह के पहले हिस्से का 18 माह के लिये परिचालन नियंत्रण भारत को दिये जाने का समझौता भी शामिल है। इसी तरह दोनों पक्षों ने राजनयिक पासपोर्ट धारकों को वीजा अनिवार्यता से छूट देने तथा व्यापार बेहतरी के लिए विशेषज्ञ समूह बनाने का भी एक समझौता किया है।

दोनों नेताओं ने करीब दो घंटे चली विस्तृत बातचीत के दौरान क्षेत्रीय हालात पर भी चर्चा की और दोनों ने शांतिपूर्ण, स्थिर, संपन्न तथा बहुलतावादी अफगानिस्तान की जरूरत पर जोर दिया।

रूहानी ने कहा, ‘‘हम आतंकवाद एवं चरमपंथ से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय संघर्षों को राजनयिक व राजनीतिक पहलों के जरिए ही सुलझाया जाना चाहिए लेकिन उन्होंने किसी विशेष क्षेत्रीय विवाद का जिक्र नहीं किया। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने कई मुद्दों पर चर्चा की और किसी भी मुद्दे पर असहमति नहीं हुई।

मोदी ने कहा कि ईरानी राष्ट्रपति की यात्रा दिखाती है कि दोनों देश कैसे संपर्क सहित प्रमुख क्षेत्रों में अपने सहयोग को मजबूत बनाना चाहते हैं। उन्होंने चाबहार बंदरगाह की महत्ता को भी रेखांकित किया और कहा कि इससे अफगानिस्तान व मध्य एशिया तक बेहतर पहुंच में मदद मिलेगी।

वहीं पीएम मोदी ने रणनीतिक तौर पर अहम चाबहार पोर्ट को विकसित करने में प्रदर्शित किए गए नेतृत्व के लिए रूहानी की तारीफ भी की। रूहानी ने कहा,‘हमने प्राकृतिक गैस व पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में सहयोग का विस्तार करने का फैसला किया है।’

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