अमेरिका के साथ ‘टू प्लस टू वार्ता’ में भारत रूसी एस-400 ट्रिंफ एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर देगा। भारत बता देगा कि वह 40 हजार करोड़ रुपये के इस सौदे के लिए आगे बढ़ेगा। इस मामले में वह रूस से रक्षा खरीद पर लगे अमेरिका के प्रतिबंध का पालन नहीं कर सकता।

सरकारी सूत्रों के अनुसार भारत इस मामले में क्षेत्रीय सुरक्षा के हालात का हवाला देकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन से राहत की मांग कर सकता है। इस बड़ी रक्षा खरीद के लिए भारत लगभग सभी औपचारिकताएं पूरी कर चुका है। इसलिए वह इसे पूरा करेगा। वार्ता में अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो और रक्षा मंत्री जिम मैटिस को यह बात बताई जाएगी।

अमेरिका ने काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट के अन्तर्गत रूस से रक्षा खरीद को प्रतिबंधित कर रखा है। यह प्रतिबंधित रूस के क्रीमिया पर कब्जे और अमेरिकी चुनाव में रूसी हस्तक्षेप के मद्देनजर लगाया गया है। काटसा के तहत अमेरिका उन देशों के खिलाफ भी कार्रवाई करेगा जो रूस से रक्षा सामग्री या खुफिया सूचनाओं का लेन-देन करते हैं।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इसी हफ्ते भारत की यात्रा पर आएंगे। इस दौरान वह भारत को 5 अरब डॉलर की एस-400 वायु सुरक्षा प्रणाली की सप्लाई पर हस्ताक्षर करेंगे। इस बात की जानकारी देते हुए क्रेमलिन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पुतिन 4 अक्तूबर को भारत जाएंगे। इस यात्रा का एक मकसद लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल बेचने का करार किया जाना भी है।

भारत ने संकेत दिए हैं कि वह अमेरिका से इस संबंध में विशेष छूट की मांग कर सकता है। हालांकि अमेरिकी अधिकारियों ने पिछले हफ्ते ही इशारों में कह दिया था कि भारत को छूट मिल ही जाएगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है।

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