अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमत से पाकिस्तान का न सिर्फ तेल आयात बिल बिगड़ रहा है बल्कि इससे विदेशी मुद्रा भंडार भी खाली हो रहा है। उधर डॉलर की मांग बढ़ने से उसकी आपूर्ति का संतुलन भी गड़बड़ा गया है।

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) के हवाले से पाक अखबार डॉन ने कहा है कि सरकार फंड के लिए आईएमएफ के पास जाकर रुपये को तबाह कर रही है जिससे देश पर बड़ा अर्थ संकट मंडराने लगा है। जबकि पाक का विदेशी मुद्रा भंडार भी खाली हो रहा है, ऐसे में देश पर दिवालिया होने का खतरा बढ़ चुका है।

पाकिस्तान में विकट हालातों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मौजूदा सप्ताह की शुरूआत में ही पाक रुपया एक डॉलर के मुकाबले 10.24 फीसदी गिरावट के साथ 139 रुपये तक कमजोर हो गया।

एसबीपी ने कहा है कि देश का व्यापार घाटा बढ़ने के कारण मुद्रा बाजार भी असंतुलित हो चुका है। उधर आईएमएफ ने सलाह दी है कि पाक रुपये को एक डॉलर की तुलना में 150 रु. तक ले जाया जाए। ऐसे में पाक रुपये का अवमूल्यन तय है जो पहले से ही गिर रहा है।

पाक में फॉरेक्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मलिक बोस्टन ने सरकार को देश के दिवालिया होने के खतरे से सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि यदि पाक रुपये का इसी तरह गिरना जारी रहा तो लोगों की खरीदारी की क्षमता पर डाका पड़ जाएगा और अर्थव्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त होकर दिवालिया हो जाएगी।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज 91.8 अरब डॉलर हो चुका है। यह कर्ज पांच साल पहले नवाज शरीफ के सत्ता संभालने के बाद से 50 फीसदी बढ़ गया है जो देश के लिए खतरनाक संकेत हैं। इसके बावजूद चीन का दो तिहाई कर्ज सात प्रतिशत की ऊंची ब्याज दर पर पाक ने ले लिया है।

इसे चुकाने के लिए पाक में आयकर वसूली भी हर साल घट रही है। ऐसे में पाक का कुल व्यापार घाटा 31 अरब डॉलर तक बढ़ गया है जबकि पिछले दो सालों में विदेशी मुद्रा भंडार में 10 अरब डॉलर की कमी आ गई है। यानी पाक आर्थिक रूप से कंगाली के बेहद निकट है।

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