येरूशलम मामले में अमेरिका को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) से बड़ा झटका लगा है। येरूशलम को इजरायल की राजधानी मानने के विरोध में संयुक्त राष्ट्र के जनरल असेंबली में एक प्रस्ताव लाया गया था इसे भारत समेत 128 देशों ने समर्थन दिया। इस प्रस्ताव के विरोध में सिर्फ 9 देशों ने वोट डाला जबकि 35 देशों ने तटस्थता की नीति अपनाते हुए इससे दूरी बनाए रखी।

united nation

अंतरराष्ट्रीय समुदाय का मानना है कि येरूशलम को राजधानी के रूप में मान्यता देना इजरायल और फिलीस्तीन की शांति वार्ता पर असर डालेगा। अधिकतर देशों का मानना है कि येरूशलम पर इजरायल का पूरी तरह हक नहीं माना जा सकता। गौरतलब है कि इजरायल पूरे येरूशलम को अपनी राजधानी मानता है, जबकि फिलीस्तीन येरूशलम के पूर्वी भाग को अपना बताते हैं।

नहीं काम आई ट्रम्प की धमकी

trump

वोटिंग से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सदस्य देशों को धमकी देते हुए कहा था कि जो देश यूएन के इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट देंगे, उसे दी जाने वाली अमेरिकी मदद में कटौती की जाएगी। लेकिन तमाम सदस्य देशों ने इस धमकी को नजरअंदाज किया। यहां तक कि मिस्र, जॉर्डन और इराक जैसे देशों ने भी अमेरिका के विरोध में वोट दिए जबकि इन देशों को अमेरिका बड़ी वित्तीय और सैन्य सहायता मुहैय्या कराता है।

प्रस्ताव के विरोध यानी अमेरिका और इजरायल के समर्थन में सिर्फ मार्शल आइलैण्ड्स, माइक्रोनेशिया, नौरू, पालाऊ, टोगो, ग्वाटेमाला, होण्डुरास, और स्वंय इजरायल और अमेरिका ने वोट दिया।

भारत ने भी किया विरोध

वहीं भारत ने भी अपना रूख साबित करते हुए कहा था कि हमारा फैसला हमारे हितों और विचारों से ही तय होगा, कोई तीसरा देश ये तय नहीं कर सकता। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि फिलीस्तीन को लेकर भारत की स्थिति स्वतंत्र है और आगे भी रहेगी।

अमेरिका ने कहा आज के दिन को याद रखेंगे

helly

अमेरिका ने इस वोटिंग पर धमकी भरे लहजे में टिप्पणी करते हुए कहा कि वह इस विरोध को याद रखेगा। यूएन में अमेरिका की राजदूत भारतवंशी निक्की हेली ने कहा कि यह हमारे लिए ‘अनादर’ सरीखा है। सदस्य देश यह ना भूले कि एन में सबसे ज्यादा योगदान अमेरिका का ही है। हेली ने कहा कि हम आज का दिन याद रखेंगे कि कुछ देशों ने अपने फायदे के लिए हमारे प्रभाव का प्रयोग किया है।

हालांकि हेली ने कहा कि अमेरिकी दूतावास येरूशलम में ही स्थापित किया जाएगा। गौरतलब है कि इजरायल द्वारा राजधानी घोषित किए जाने के बाद भी येरूशलम में किसी भी देश का दूतावास नहीं है। 86 देशों का दूतावास तेल अवीव में हैं। हेली ने इजरायल को आह्वान करते हुए कहा कि इजरायल को एक राष्ट्र के रूप में अपने अस्तित्व के लिए खड़े होना चाहिए।

नेतन्याहू ने कहा कि येरूशलम हमारा था, है और रहेगा भी

Netanyahu

उधर इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि येरूशलम हमारी राजधानी थी, है और रहेगी। नेतन्याहू ने यूएन के इस प्रस्ताव को बेतुका माना। पीएम कार्यालय से जारी एक बयान के अनुसार इजरायल संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव को खारिज करता है। इस बयान में समर्थन करने वाले देशों खासकर अमेरिका को धन्यवाद कहा गया। बयान में लिखा गया है कि “इजरायल राष्ट्रपति ट्रंप और उन सभी देशों का आभारी है, जिन्होंने इजरायल के पक्ष में वोट किया और सच्चाई का साथ दिया।”

आखिर क्या है विवाद?

yerusalem

विवाद पूरे येरूशलम पर नहीं बल्कि पूर्वी येरूशलम पर है, जिस पर 1948 में इजरायल ने जॉर्डन से युद्ध कर के हासिल किया था। इस पूर्वी येरूशलम शहर में यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों धर्मों के पवित्र स्थल हैं। यहां पर यहूदियों का सबसे पवित्र स्थल टेंपल माउंट तो मुसलमानों का तीसरा सबसे पवित्र स्थल अल-अक्सा मस्जिद है। माना जाता है कि यहां पर मुहम्मद साहब ने अपना देह त्यागा था। वहीं ईसाई समुदाय के लोगों का भी मानना है कि ईसामसीह को इसी शहर में शूली पर लटकाया गया था।

हालांकि मुख्य लड़ाई यहूदी देश इजरायल और मुस्लिम राष्ट्र फिलस्तीन में हैं जो पूर्वी येरूशलम पर अपना-अपना दावा करते हैं। हालांकि दुनिया के ज्यादातर देश पूरे येरूशलम पर इजरायल के दावे को मान्यता नहीं देते। लेकिन फिलहाल पूरे येरूशलम पर इजरायल का ही कब्जा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here