स्मार्टफोन में अब अमेरीकन GPS की जगह होगा भारतीय NavIC, जानिए नाविक के बारे में और क्यों पड़ी इसकी जरूरत

IRNSS परियोजना के तहत पहला उपग्रह (IRNSS-1A) 1 जुलाई, 2013 को और सातवां एवं अंतिम उपग्रह (IRNSS-1G) को 28 अप्रैल, 2016 को लॉन्च किया गया था, इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा IRNSS का नाम बदलकर नाविक- NavIC कर दिया था.

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भारत सरकार देश में स्मार्टफोन बेचने और बनाने वाली कंपनियों पर सख्ती करने जा रही है. केंद्र सरकार इन कंपनियो द्वारा बनाए जा रहे स्मार्टफोन को 1 जनवरी 2023 से भारतीय प्रादेशिक नौवहन उपग्रह समूह (नाविक- NavIC) तकनीक के सपोर्ट के साथ लांच करने के लिए लगातार चर्चा कर रहा है.

इसी कड़ी में समाचार एजंसी रायटर्स की एक खबर के अनुसार भारत सरकार ने सैमसंग, एपल, शाओमी और वीवो जैसी स्मार्टफोन कंपनियों को अपने नए स्मार्टफोन को भारतीय नेविगेशन सिस्टम (NavIC) के सपोर्ट के साथ लॉन्च करने को लेकर चर्चा की है. इस आदेश के बाद इन कंपनियों को अपने स्मार्टफोन के हार्डवेयर में बदलाव में आने वाली लागत का डर सताने लगा है.

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IRNSS परियोजना

‘भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली’ (Indian Regional Navigation Satellite System- IRNSS) परियोजना को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2006 में अनुमोदित (Approve) किया गया था और इसके 2015-16 तक पूरा और कार्यान्वित होने की उम्मीद थी.

भारतीय क्षेत्रीय दिशानिर्देशन उपग्रह तंत्र परियोजना के तहत पहला उपग्रह (IRNSS-1A) 1 जुलाई, 2013 को और सातवां एवं अंतिम उपग्रह (IRNSS-1G) को 28 अप्रैल, 2016 को लॉन्च किया गया था. ISRO द्वारा IRNSS-1G के अंतिम प्रक्षेपण के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा IRNSS का नाम बदलकर नाविक- NavIC (Navigation in Indian Constellation) कर दिया गया.

अभी IRNSS में आठ उपग्रह हैं, जिसमें भूस्थिर कक्षा (Geostationary Orbit) में तीन उपग्रह और भू-समकालिक कक्षा (Geosynchronous Orbit) में पांच उपग्रह शामिल हैं.

IRNSS 1 C 1
NavIC

IRNSS (NavIC) का मुख्य उद्देश्य भारत और उसके पड़ोस में विश्वसनियता के साथ नेविगेशन सेवाएं प्रदान करना है.

अभी यूज किए जा रहे जीपीएस (जिसमें 24 उपग्रह काम करते हैं) की सटीकता 20-30 मीटर है, वहीं नाविक के पास 20 मीटर से कम की अनुमानित सटीकता है.

नाविक को मोबाइल टेलीफोनी मानकों के समन्वय के लिये वैश्विक निकाय ‘थर्ड जनरेशन पार्टनरशिप प्रोजेक्ट’ (3GPP) द्वारा प्रमाणित किया गया है. इसके अलाव नाविक को वर्ष 2020 में हिंद महासागर क्षेत्र में संचालन के लिये ‘वर्ल्ड वाइड रेडियो नेविगेशन सिस्टम’ (WWRNS) के एक भाग के रूप में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) ने मान्यता प्रदान की.

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क्या है भारत सरकार का रुख

भारत द्वारा पिछले कुछ वर्षों में अपने क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (Regional Navigation Satellite System) के उपयोग का विस्तार किया है जिसे NavIC कहा जाता है. इसके अलावा भारत सरकार व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले अमेरिकी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) सहित अन्य विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता कम करना चाहती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त और सितंबर में सरकार और Apple, Xiaomi, Samsung और अन्य प्रतिनिधियों के बीच हुई निजी बैठकों में कंपनियों ने कहा कि NavIC के अनुरूप फोन बनाने के लिए उच्च अनुसंधान की जरुरत होगी जिससो उत्पादन लागत भी बढ़ेगी.

भारत सरकार का मानना है कि देश में NavIC अधिक सटीकता के साथ नेविगेशन प्रदान करता है और इसके उपयोग से अर्थव्यवस्था को लाभ होगा.

खबरों के अनुसार भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) नए स्मार्टफोन में NavIC को लागू करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगी. भारत की अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि अमेरिकन जीपीएस (अमेरिकन वायु सेना) और रूस के ग्लोनास जैसे सिस्टम उनके देशों की रक्षा एजेंसियों द्वारा संचालित किए जाते हैं, जिससे नागरिकों की जासूसी से लेकर सेवाएं बाधित होने जैसे खतरें लगातार बने रहते हैं. इसरो के अनुसार NavIC पूरी तरह से भारत सरकार के नियंत्रण में है, जो इसे GPS की तर्ज पर वैश्विक बनाना चाहता है.

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2020 में आया था नाविक सपोर्ट वाला पहला फोन

भारत में 2020 में स्मार्टफोन निर्माता रियलमी (Realme) ने पहली बार नाविक (NavIC) नेविगेशन सपोर्ट वाला स्मार्टफोन Realme X50 Pro 5G को साल 2020 में लॉन्च किया था. इस फोन की लॉन्चिंग के समय रियलमी ने यह भी कहा था कि भविष्य में लॉन्च होने वाले सभी स्मार्टफोन में भारतीय नेविगेशन सिस्टम नाविक का सपोर्ट मिलेगा.

सैमसंग और श्याओमी जैसे कुछ प्रमुख खिलाड़ियों के लिए एक प्रमुख चिंता दोहरे बैंड वाले चिपसेट की उच्च लागत है, जिन्हें उन्हें जीपीएस और NavIC दोनों का सपोर्ट करने की जरूरत पड़ेगी.

भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO के अनुसार 2021 के मध्य तक भारत में केवल दो दर्जन मोबाइल हैंडसेट मॉडल में ही NavIC का प्रयोग करने लायक तकनीक उपल्बध थी.

अभी कहां हो रहा है उपयोग?

भारत सरकार द्वारा अभी स्वदेशी नाविक का उपयोग रक्षा क्षेत्र, सरकारी वाहनों की ट्रैकिंग व मछुआरों को आपात समय में चेतावनी भेजने और प्राकृतिक आपदाओं में मदद पहुंचाने में किया जा रहा है. नाविक के आने से विदेशी निर्भरता, खासतौर पर रणनीतिक और संवेदनशील मामलों में निर्भरता घटेगी.

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वैश्विक नेविगेशन बाजार

अमेरिकन जीपीएस को टक्कर देने के लिए चीन, यूरोपीय संघ, जापान और रूस के पास अपने वैश्विक या क्षेत्रीय नेविगेशन सिस्टम हैं. हालांकि 2018 से इस्तेमाल किए जा रहे NavIC का परिचालन खर्च जीपीएस एवं अन्य नेविगेशन सिस्टम की तुलना में काफी कम है.

अभी भारत में स्मार्टफोन में नेविगेशन के लिए ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (GPS) का इस्तेमाल होता है. 

अन्य देशों के उदाहरण

रूस ने जीपीएस पर निर्भरता को कम करने के लिए अपने बाजार में बेचे जाने वाले स्मार्टफोन में अपने स्वयं के ग्लोनास (Glonass) सिस्टम को शामिल करने की मांग की है, रूस का इसके पिछे तर्क है कि अमेरिका जीपीएस को कभी भी बंद कर सकता है जैसा उन्होंने इराक में सैन्य अभियानों के दौरान किया था।

चीन द्वारा अपने घरेलु नेविगेशन सिस्टम Beidou को जून 2020 में पूरा किया गया था. चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार 2021 में, चीन में निर्मित 94.5 फीसदी स्मार्टफोन Beidou को सपोर्ट करते थे.

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