उपचुनाव के मैदान में उतरे कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार और राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला महज 932 वोट से अपनी जमानत बचा पाए। वह तीसरे नंबर पर रहे। वहीं, अपने ही गढ़ में चुनाव लड़ने वाले इंडियन नेशनल लोकदल के प्रत्याशी उमेद सिंह रेढू को केवल 3454 वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई। वह पांचवें नंबर पर रहे। इस चुनाव में जजपा के दिग्विजय सिंह चौटाला और कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला को छोड़कर बाकी 18 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई, जबकि 16 प्रत्याशियों को नोटा से भी कम वोट मिले हैं।

28 जनवरी को हुए जींद विधानसभा के उपचुनाव में 130828 वोट पोल हुए थे और 31 वोट बैलेट पेपर से पड़े थे। इस प्रकार कुल मतों की संख्या 130859 हो गई थी। जमानत बचाने के लिए उम्मीदवारों को कुल पड़े मतों का छठा हिस्सा प्राप्त करना पड़ा है। इस उपचुनाव में रणदीप सिंह सुरजेवाला को जमानत बचाने के लिए 21810 मतों की जरूरत थी।  उन्हें कुल 22742 वोट मिले। इस प्रकार सुरजेवाला 932 वोटों से अपनी जमानत बचा सके।

लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के पंडित विनोद आशरी 13582 वोट लेकर चौथे नंबर पर रहे, लेकिन वह भी अपनी साख नहीं बचा सके। इनेलो प्रत्याशी उमेद सिंह रेढू को मात्र 3454 वोट हासिल हुए जबकि बीएसएनपी के कमल कुमार को 149, एएसपी के राजपाल को 52, एसएनपी के राधेश्याम को 360, आरएमईपी की शीतल देवी को 131, पीपीआई डेमोक्रेटिक की सुनीता रानी को 69, आरपीए (ए) के सुनील कुमार को 166 मत मिले।

निर्दलीय ओमप्रकाश को 128, निर्दलीय संत धर्मबीर चोटीवाला को 170, प्रभाती राम को 249, बिजेंद्र को 239, मांगेराम को 276, मास्टर रमेश खत्री लंबरदार को 95, रविंद्र कुमार को 200, सतपाल को 119, संदीप कुमार को 67 और सुरेंद्र बीबीपुर को 40 वोट मिले। बता दें कि यह उपचुनाव इनेलो विधायक डॉ. हरिचंद मिड्ढा के निधन के चलते हुआ था। उसके बाद भी इनेलो का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। इस चुनाव में 345 वोटरों ने नोटा को चुना था। ऐसे में 21 में से 16 उम्मीदवारों को नोटा से भी कम मत मिले।

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