Madhya Pradesh Panchayat Elections का क्‍या खुलेगा रास्‍ता? Supreme Court में आज होगी सुनवाई

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supreme court
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Madhya Pradesh Panchayat Elections: मध्यप्रदेश के पंचायत चुनावों में ओबीसी के आरक्षण सहित अन्य मुद्दों को लेकर Supreme Court में आज सुनवाई होगी। सुनवाई के बाद ही राज्‍य में पंचायत चुनाव का रास्ता तय हो पायेगा। बता दें कि पंचायत चुनावों के परिसीमन और रोटेशन को लेकर कांग्रेस कोर्ट गई हुई है। राज्य की शिवराज सरकार ने भी ओबीसी वर्ग के आरक्षण को लेकर याचिका दायर की है।

पंचायत चुनावों को लेकर दूसरे राज्‍यों की भी याचिकाएं

पंचायत चुनावों को लेकर अन्य राज्‍यों ने भी याचिकाएं लगाई हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट सभी याचिकाओं को एक साथ सुनने वाला है। पूर्व में 3 जनवरी की तारीख कोर्ट में रखी गई थी। जिसको सुप्रीम कोर्ट ने तीन जनवरी से बढ़ाकर 17 जनवरी किया। मध्यप्रदेश की याचिकाओं पर भी आज सुनवाई होनी हैं।

OBC आरक्षण का गणित कुछ यूं है

मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण की वजह से रद्द हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि एमपी में ओबीसी वर्ग की आबादी 50 फीसदी से अधिक है। जाहिर है कि इतने बड़े वर्ग को कोई भी दल नाराज नहीं करना चाहेगा। मौजूदा स्थिति में देशभर में आरक्षण का प्रावधान 50 फीसद है। जो कि एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग को मिलाकर है। बाकी 50 फीसदी जनरल वर्ग के लोगों के लिए है। अगर मध्यप्रदेश के लिहाज से बात करें तो एमपी में 16 प्रतिशत एससी वर्ग के लिए, 14 फीसद ओबीसी वर्ग के लिए और एसटी वर्ग के लिए 20 फीसद आरक्षित है। जो कि संविधान के दायरे में आता है।

कहां फंसा है मामला

PM's Security Lapse
Madhya Pradesh CM Shivraj Singh Chauhan

मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग की बड़ी आबादी को देखते हुए 27 फीसद आरक्षण की मांग होती रही है। कमलनाथ सरकार ने इसके लिए कदम भी उठाया लेकिन कानूनी दांव पेंच में वो असफल रहे। अब शिवराज सरकार की कोशिश है कि ओबीसी वर्ग को 27 फीसद आरक्षण मिलें लेकिन अगर ऐसा होता है तो 50 फीसद कुल आरक्षण के प्रावधान का उल्लंघन होगा। यही वजह है कि प्रदेश में ओबीसी आरक्षण पर पेंच फंसा हुआ है। खास बात यह है कि दोनों ही दल ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने का समर्थन कर रहे हैं और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति भी कर रहे हैं।

Kamal Nath
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Madhya Pradesh Panchayat Elections का 2020 में ही पूरा हो चुका है कार्यकाल

Madhya Pradesh Panchayat Elections

बता दें, मध्य प्रदेश में मार्च 2020 में ही 22 हजार से ज्यादा पंचायतों के सरपंचों और पंचों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। साथ ही 841 जिला और 6,774 जनपद पंचायतों का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है लेकिन विभिन्न कारणों से पंचायत चुनाव टलते रहे। आखिरकार दिसंबर में निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान किया। जिनके मुताबिक जनवरी में पंचायत चुनाव होने थे लेकिन अब ओबीसी आरक्षण को लेकर पेंच फंस गया जिसके बाद सरकार ने पंचायत चुनाव का अध्यादेश वापस लेकर चुनाव रद्द कर दिए।

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