आज Lucknow में BSP प्रमुख Mayawati Prabuddha Sammelan में करेंगी संबोधन

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Mayawati

बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख Mayawati आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत आज मंगलवार 7 सितंबर को पार्टी के बहुप्रचारित ‘Prabuddha Sammelan के समापन सत्र के दौरान करेंगी। ‘विचार संगोष्ठी’ (‘Vichar Sangosthi’ ) नाम का यह कार्यक्रम बसपा मुख्यालय 12 मॉल एवेन्यू (12Mall Avenue) लखनऊ में सुबह 11 बजे से होगा। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद यह मायावती की पहली सार्वजनिक सभा होगी। BSP ने एक बार फिर ब्राह्मण मतदाताओं को आकर्षित करने और अपने सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले के माध्यम से एक बार फिर सत्ता हासिल करने के मिशन के साथ 23 जुलाई को अयोध्या से ‘प्रबुद्ध सम्मेलन’ की शुरुआत की थी।

70 से अधिक जिलों में हुआ प्रबुद्ध सम्मेलन

बसपा ने केंद्र में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार और यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मुकाबला करने के लिए उच्च जातियों विशेष रूप से ब्राह्मणों को लुभाने के लिए राज्य में प्रबुद्ध सम्मेलन शुरू किया था। बहुजन समाज पार्टी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा (Satish Chandra Mishra) ने जुलाई के पहले सप्ताह में अयोध्या से प्रबुद्ध सम्मेलन की शुरूआत की थी। उन्‍होंने उत्तर प्रदेश के 70 से अधिक जिलों में ब्राह्मणों की सभाओं को संबोधित किया है, वहीं उनकी पत्नी कल्पना मिश्रा (Kalpana Mishra) ने ब्राह्मण समुदाय की महिलाओं की सभाओं को संबोधित किया।

भाजपा भी करेंगी “प्रबुद्ध वर्ग” सम्मेलन

बसपा के प्रबुद्ध सम्मेलन के जवाब में भाजपा ने राज्‍य के सभी 403 विधानसभा सीटों में 5 सितंबर से “प्रबुद्ध वर्ग” सम्मेलन करने की घोषणा की है, इस सम्मेलन के दौरान भाजपा शिक्षकों, इंजीनियरों, डॉक्टरों, साहित्यकारों और विचार-विमर्श करने वाले समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के साथ संवाद करेगी।

मायावती ने भाजपा और सपा दोनों पर किया वार

तीन कृषि कानूनों के विरोध में रविवार को Muzaffarnagar के Government Inter College (GIC) मैदान में हुई किसान महापंचायत को लेकर मायावती ने भाजपा और सपा दोनों पर हमला बोला। उन्‍होंने कहा कि ” यूपी के मुजफ्फरनगर जिले में कल हुई किसानों की जबरदस्त महापंचायत में हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए भी प्रयास अति-सराहनीय। इससे निश्चय ही सन 2013 में सपा सरकार में हुए भीषण दंगों के गहरे जख्मों को भरने में थोड़ी मदद मिलेगी किन्तु यह बहुतों को असहज भी करेगी। किसान देश की शान हैं तथा हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा के लिए मंच से साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए लगाए गए नारों से भाजपा की नफरत से बोयी हुई उनकी राजनीतिक जमीन खिसकती हुई दिखने लगी है तथा मुजफ्फरनगर ने कांग्रेस व सपा के दंगा-युक्त शासन की भी याद लोगों के मन में ताजा कर दी है। ”

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