Allahabad HC में 14 Feb से E-Pass दिखाकर मुंशियों को मिलेगा प्रवेश

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Allahabad HC
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Allahabad HC : इलाहाबाद हाईकोर्ट में 14 फरवरी से अधिवक्ताओं के साथ ई -पास से अब मुंशियों को भी न्यायालय परिसर में प्रवेश की अनुमति मिल गई है। अभी तक केवल अधिवक्ताओं को ही केस लगे होने के मैसेज या ई -पास दिखाकर कोर्ट में जाने की अनुमति थी। वहीं दूसरी तरफ बीते शुक्रवार की रात इलाहाबाद हाईकोर्ट में बने कंप्यूटर सर्वर कक्ष में अचानक आग लग गई। जिसके चलते हाई कोर्ट की वेबसाइट ठप है।

Allahabad HC PIC 13 Feb New

Allahabad HC: अधिवक्‍ता थे परेशान

मुंशियों को परिसर में प्रवेश की अनुमति न मिलने के कारण अधिवक्ताओं को केस फाइल खुद ही ढोकर ले जानी पड़ती थी। अब मु़ंशियों के जाने से इस समस्या का समाधान हो गया है। महानिबंधक आशीष गर्ग की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि कोविड नियमों का सख्‍ती के साथ पालन किया जाए। मुंशियो को अधिवक्ता के प्रमाणित करने पर ही ई-पास जारी होंगे।

कई अन्‍य बातों पर भी चर्चा

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके ओझा ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश से कई बातों पर चर्चा की गई है। एक सप्ताह बाद परिसर के अंदर सफाई व्‍यवस्था कर अधिवक्ता चेंबर्स भी खोले जाएंगे। अभी तक न्याय कक्ष में एक साथ 10 से अधिक वकीलों की उपस्थिति का ही आदेश है। चेंबर बंद होने से अधिवक्ताओं को बैठने का कोई इंतजाम न्यायालय प्रशासन द्वारा नहीं किया गया है। ऐसे में उन्‍हें बरामदों में लगी कुर्सियों पर बैठे कर अपने केस की पुकार का इंतजार करना पड़ता है। चेंबर्स खुलने पर ही इस समस्या का समाधान हो सकेगा।

Allahabad HC: कंप्यूटर कक्ष में आग से हाईकोर्ट की वेबसाइट ठप

इलाहाबाद हाईकोर्ट (High Court) में बने कंप्यूटर सर्वर कक्ष में बीते शुक्रवार की रात आग लग गई। आग एयर कंडीशनर में लगने के कारण हाईकोर्ट की वेबसाइट ठप हो गई। इसकी मरम्मत का काम जारी है। वेबसाइट फिलहाल चालू नहीं हो सकी। मरम्मत कार्य समय से पूरा नहीं हुआ तो सोमवार को न्यायिक कार्य प्रभावित हो सकता है।

आग किस कारण से लगी ? इसकी जांच की जा रही है। सूत्रों के अनुसार शार्ट सर्किट से लगी आग से लाइन केबल को भारी नुक़सान पहुंचा है। जिसकी वजह से सिस्टम काम नहीं कर पा रहा। हाई कोर्ट में हाईब्रिड मोड में सुनवाई चल रही है। जिसमें वर्चुअल व खुली अदालत में सुनवाई की जा रही है। सर्वर के बिना वर्चुअल सुनवाई नहीं हो सकती। इसे लेकर न्यायालय प्रशासन काफी चिंतित है।

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