ब्रह्म योग के बीच मनाई जा रही Kaal Bhairav Jayanti, जानें कैसे बाधा मुक्ति के लिए करें काल भैरव की पूजा ?

Kaal Bhairav : ऐसी मान्यता है कि काल भैरव जयंती पर जो भी भगवान भैरवनाथ जी की आराधना करता है। उसे जीवन में कोई संकट नहीं सताता, उसकी बाधाएं दूर होती हैं और स्‍वयं बाबा काल भैरव उसकी रक्षा करते हैं।

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Kaal Bhairav: top news today
Kaal Bhairav:

Kaal Bhairav: संकट से बचाने और हर अड़चन को खत्‍म करने के लिए बाबा काल भैरव की पूजा की जाती है। आज यानी बुधवार को कालों के काल महादेव के रौद्र और उग्र अवतार काल भैरव की जयंती है।ऐसी मान्यता है कि काल भैरव जयंती पर जो भी भगवान भैरवनाथ जी की आराधना करता है।

उसे जीवन में कोई संकट नहीं सताता, उसकी बाधाएं दूर होती हैं और स्‍वयं बाबा काल भैरव उसकी रक्षा करते हैं।तमाम बुरी शक्ति से छुटकारा मिलता है। इस वर्ष काल भैरव जयंती बेहद शुभ संयोग लेकर आ रही है। जिसमें शिव पूजन का दोगुना फल प्राप्त होगा। आइए जानते हैं काल भैरव जंयती का मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र।

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Kaal Bhairav.

Kaal Bhairav : काल भैरव जयंती का मुहूर्त

Kaal Bhairav : मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी तिथि आरंभ – 16 नवंबर 2022, सुबह 05.49
मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी तिथि समाप्त- 17 नवंबर 2022, सुबह 07.57

  • ब्रह्म मुहूर्त – 05.02 AM- 05.54 बजे सुबह (16 नवंबर 2022)
  • अमृत काल मुहूर्त – 05.12 PM – 06.59 शाम (16 नवंबर 2022)
  • निशिता काल मुहूर्त – 16 नवंबर 2022, 11.45 बजे रात – 12.38 बजे सुबह, 17 नवंबर 2022

Kaal Bhairav : बेहद शुभ संयोग

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Kaal Bhairav ji.

Kaal Bhairav: खासतौर से शिव भक्तों के लिए काल भैरव जंयती का दिन बहुत महत्‍वपूर्ण होता है।क्‍योंकि आज ब्रह्म योग बन रहा है। इसके साथ ही वृश्चिक संक्रांति भी है। आज ही सूर्य तुला से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे।ऐसे में ये बेहद शुभ संयोग है।

Kaal Bhairav: जानिए व्रत और पूजा के नियम

  • Kaal Bhairav: कालाष्टमी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। गृहस्थ जीवन वाले काल भैरव का सात्विक पूजन यानी सामान्य रूप से पूजा करें।
  • भैरवनाथ शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं, इसलिए इस दिन शिव के साथ मां दुर्गा की पूजा भी अवश्‍य करें। शुभ मुहूर्त में शिवलिंग का जलाभिषेक करें।

पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोलेनाथ को लाल चंदन, बेलपत्र, पुष्प, धूप, दीप, मिठाई, फल अर्पित करें।
काल भैरव की पूजा में उन्हें तिल, उड़द चढ़ाए जाते हैं, बाबा भैरव के प्रिय भोग इमरती, जलेबी, पान, नारियल अर्पित करें. अब काल भैरव जयंती की कथा पढ़ें और फिर भैरवनाथ जी की आरती करें।
संध्याकाल में काल भैरव के मंदिर में चौमुखी सरसों के तेल का दीपक लगाकर ॐ कालभैरवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। इस दिन कालभैरवाष्टक का पाठ करना उत्तम फलदायी होता है।
इस दिन काले कुत्ते को मीठी रोटी और गुड़ के पुए जरूर खिलाएं इससे काल भैरव जल्द प्रसन्न होंगे,क्योंकि काला कुत्ता काल भैरव का वाहन है। साथ ही किसी बेसहारा गरीब की यथाशक्ति मदद करें, दान करें।

Kaal Bhairav: जानें काल भैरव के पूजा मंत्र

Kaal Bhairav: ऊं भयहरणं च भैरव:।।
ऊं भ्रं कालभैरवाय फट्।।

ऊं ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।।
ऊं ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय. कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ऊं फट स्वाहा।।

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