Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता को इस मंत्र से करें खुश, जानिए पूजन विधि और आरती

नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं।

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Chaitra Navratri 2022
Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता को इस मंत्र से करें खुश

Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। इस देवी की चार भुजाएं हैं। यह दायीं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़ी हुई हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है, और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। बता दें कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि या बसंत नवरात्रि शुरु होती हैं। देवी भगवती अपनी असीम अनुकंपा सभी पर बनाए रखें। इसके लिए जरूरी है कि उनका विधि-विधान के साथ पूजन।

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Chaitra Navratri 2023: मां स्कंदमाता मंत्र

स्कंदमाता पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निमार्ण करने वाली देवी हैं। स्कंदमाता की पूजा पांचवे दिन होती है। कहते हैं इनके आशिर्वाद से मूर्ख भी ज्ञानी बन जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है।

मंत्र- सिंहसनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥

पूजन विधि (Pujan Vidhi)

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े धारण करें। इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें। फिर विधि-विधान से मां दुर्गा के स्वरूप माता स्कंदमाता की पूजा करें। मां की आराधना सिंहसनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥ जप करके की जाती है। माता स्कंदमाता को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प अर्पित करें। दूध से बनी हुई मिठाई का भोग लगाएं।

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स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंद माता।

पांचवा नाम तुम्हारा आता।।

सब के मन की जानन हारी।

जग जननी सब की महतारी।।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं।

हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।।

कई नामों से तुझे पुकारा।

मुझे एक है तेरा सहारा।।

कही पहाड़ो पर हैं डेरा।

कई शहरों में तेरा बसेरा।।

हर मंदिर में तेरे नजारे।

गुण गाये तेरे भगत प्यारे।।

भगति अपनी मुझे दिला दो।

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।।

इंद्र आदी देवता मिल सारे।

करे पुकार तुम्हारे द्वारे।।
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आएं।

तुम ही खंडा हाथ उठाएं।।

दासो को सदा बचाने आई।

‘चमन’ की आस पुजाने आई।।

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