Navratri 2022: Delhi-NCR के मंदिरों में मां कालरात्रि के जयकारों की गूंज, दर्शन के लिए भक्‍तों की लगी कतारें

Navratri 2022: नवरात्रि में सातवें दिन महासप्तमी पड़ती है। इस दिन मां दुर्गा के 7वें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। सदैव शुभ फल देने के कारण इनको शुभंकरी भी कहा जाता है।

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Chaitra2023: top news on Maa Kalratri
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Navratri 2022:दिल्‍ली-एनसीआर के मंदिर रविवार को देवी कालरात्रि के जयकारों से गूंज उठे। मंदिरों में बड़ी संख्‍या में भक्‍त उमड़े। शारदीय नवरात्रि के 7वें दिन यानी आज सप्तमी तिथि है। नवरात्रि में सातवें दिन महासप्तमी पड़ती है। इस दिन मां दुर्गा के 7वें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। सदैव शुभ फल देने के कारण इनको शुभंकरी भी कहा जाता है। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने के लिए जानी जाती हैं, इसलिए इनका नाम कालरात्रि है। मां दुर्गा की सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि तीन नेत्रों वाली देवी हैं। कहा जाता है जो भी भक्त नवरात्रि के सांतवें दिन विधि-विधान से मां कालरात्रि की पूजा करता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।मां कालरात्रि की पूजा से भय और रोगों का नाश होता है। भूत प्रेत, अकाल मृत्यु ,रोग, शोक आदि सभी प्रकार की परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

Navratri 2022: jai maa Kalratri
Navratri 2022

Navratri 2022: जानिए कैसा है मां कालरात्रि का स्वरूप?

शास्‍त्रों के अनुसार मां दुर्गा को कालरात्रि का रूप शुम्भ, निशुम्भ और रक्तबीज को मारने के लिए लेना पड़ा था। देवी कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है। इनके श्वास से आग निकलती है। मां के बाल बड़े और बिखरे हुए हैं। गले में पड़ी माला बिजली की तरह चमकती रहती है। मां के तीन नेत्र ब्रह्मांड की तरह विशाल व गोल हैं। मां के चार हाथ हैं, जिनमें एक हाथ में खडग अर्थात तलवार, दूसरे में लौह अस्त्र, तीसरे हाथ अभय मुद्रा में है और चौथा वरमुद्रा में है।इस दिन गुड़ का विशेष महत्व बताया गया है। मां कालरात्रि को गुड़ या उससे बने पकवान का भोग लगाएं। पूजा समाप्त होने के बाद माता के मंत्रों का जाप कर उनकी आरती करें। साथ ही दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

Navratri 2022: मां कालरात्रि का मंत्र

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Navratri 2022.

ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: .
ॐ कालरात्र्यै नम:
ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।

ध्यान मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्ल सल्लोहलता कण्टक भूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

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