सुनो भई साधो –कांग्रेस पार्टी में मचा है घमासान, क्या गांधी परिवार के पास नहीं रहेगी कमान

देश की सबसे पुरानी और देश की जनता में कभी सबसे ज्यादा रसूख रखने वाली राजनीतिक पार्टी कांग्रेस पार्टी शायद अपने सबसे बड़े संकट से गुजर रही है। नए दौर में 1998 में पहली बार सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनीं। तब से ही कांग्रेस अध्यक्ष का पद लगातार गांधी परिवार के पास ही है। इस दौरान बीजेपी में 10 अध्यक्ष बदल गए। कुशाभाऊ ठाकरे, बंगारू लक्ष्मण, जना कृष्णमूर्ति, वेंकैया नायडू, लाल कृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, अमित शाह और अब जेपी नड्डा। लेकिन कांग्रेस में अद्यक्ष पद पर गांधी परिवार का ही एकाधिकार रहा। सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी, फिर सोनिया गांधी।

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137 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी का अगला अध्‍यक्ष कौन बनेगा?  पार्टी के भीतर इस सवाल के जवाब पर महामंथन शुरू हो चुका है। पिछले 24 सालों से एक के बाद एक…. चालाकी से फेटे गए ताश के पत्तों की तरह कांग्रेस की कमान का इक्के का पत्ता…. गांधी परिवार के पास ही रहा है। लेकिन अब कांग्रेस पार्टी मे बदलाव की मांग पार्टी के अंदर से ही उठने लगी है। और इसी बात को लेकर कांग्रेस पार्टी के अंदर घामासन मचा है …ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे कि इस बार कांग्रेस अध्य की कुर्सी गांधी परिवार से बाहर किसी को मिल सकती है…क्या है यह पूरा घमासान और क्यूं छिड़ा है यह घमासान बताएंगे आपको  बताएंगे आपको पूरी बात …. जुड़े रहिए हमारे साथ……नमस्कार….मैं मनीष राज…मेरे साथ …आप सुन रहे  हैं ……समससामयिक चर्चाओं का विशेष पॉडकास्ट सुनो भई साधो…. इस खास कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है।

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राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी , तस्वीर में एक साथ


साधो….देश की सबसे पुरानी और देश की जनता में कभी सबसे ज्यादा रसूख रखने वाली राजनीतिक पार्टी कांग्रेस पार्टी शायद अपने सबसे बड़े संकट से गुजर रही है। नए दौर में 1998 में पहली बार सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनीं। तब से ही कांग्रेस अध्यक्ष का पद लगातार गांधी परिवार के पास ही है। इस दौरान बीजेपी में 10 अध्यक्ष बदल गए। कुशाभाऊ ठाकरे, बंगारू लक्ष्मण, जना कृष्णमूर्ति, वेंकैया नायडू, लाल कृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, अमित शाह और अब जेपी नड्डा। लेकिन कांग्रेस में अद्यक्ष पद पर गांधी परिवार का ही एकाधिकार रहा। सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी, फिर सोनिया गांधी। ऐसे में कांग्रेस से उसके दिग्गज नेताओं का मोहभंग होना शुरु हो गया। पार्टी के अंदर से तमाम तरह के विरोध के सुर उठ रहे हैं। पार्टी के अंदर से ही उग्र होते सुरे को मंद करने के उद्देशय से अक्तूबर की 17 तारीख को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का चुना जाना तय किया गया है। खबर ये आ रही है कि पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी फिर से अध्यक्ष पद की कमान संभालने को राजी नहीं है। उन्हें राजी होना भी नहीं चाहिए। आखिर जब जब उन्होंने अध्य़क्ष की कुर्सी संभाली है, कांग्रेस का संकट गहराया ही है। फिलहाल की अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने भी स्‍वास्‍थ्‍य कारणों के चलते पद संभालने से इनकार कर दिया है। अधिकतर नेताओं की नजरें अब प्रियंका गांधी वाड्रा पर हैं ताकि पार्टी की कमान गांधी परिवार के भीतर ही रहे। लेकिन कांग्रेस पार्टी में एक धड़ा ऐसा भी है जो गांधी परिवार से इतर अध्‍यक्ष तलाश रहा है।

पार्टी एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। कांग्रेस अध्यक्ष के लिए 17 अक्टूबर को चुनाव होगा। इसके लिए 24 सितंबर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी। पार्टी का एक गुट चाहता है कि नामांकन शुरू होने से पहले मतदाता सूची सार्वजनिक की जाए। आनंद शर्मा, शशि थरूर, कार्ति चिदंबरम इसेक लिए आवाज उठा रहे हैं। दूसरी तरफ, इस मांग पर कांग्रेस महासचिव और मीडिया प्रभारी जयराम रमेश परंपरा की दुहाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता से पहले या बाद में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में कभी भी मतदाता सूची सार्वजनिक नहीं हुई है। 1997 और 2000 में भी नहीं जब अध्यक्ष पद के लिए एक से ज्यादा उम्मीदवार थे। केसी वेणुगोपाल भी चुनाव प्रक्रिया को ‘इनहाउस प्रोसीजर’ बताते हुए दो टूक कह रहे हैं कि मतदाता सूची सार्वजनिक नहीं की जाएगी। ऐसे में मनीष तिवारी और अन्य नेताओं का कहना है कि आज के सूचना क्रांति के युग में मतदाता सूची को पार्टी की वेबसाइट पर प्रकाशित कर देने में आखिर दिक्कत क्या है।

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Shashi Tharoor

सवाल और भी हैं। अगर कोई गैर-गांधी अध्यक्ष बनेगा तो क्या कांग्रेस के ‘प्रथम परिवार’ का कोई कठपुतली होगा यानी उस ‘रिमोट कंट्रोल माडल’ वाला होगा जिसका जिक्र गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में किया था?  असंतुष्ट नेताओं का गुट नहीं चाहता कि कोई ‘कठपुतली अध्यक्ष’ बनाया जाए और यही वजह है कि चुनाव में वोट डालने वाले डेलिगेट्स की सूची सार्वजनिक करने की मांग जोर पकड़ रही है। नए अध्य़क्ष की रेस में शशि थरूर , अशोक गहलोत, मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे नाम सामने आ रहे हैं। शशि थरूर ने तो अपील की है कि अन्य कांग्रेस नेताओं को भी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए आगे आना चाहिए। पृथ्वीराज चव्हाण जैसे नेता सार्वजनिक तौर पर ‘कठपुतली अध्यक्ष’ बनाए जाने के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं।

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बहरहाल कांग्रेस पार्टी के अद्य़क्ष पद के चुनाव को लेकर पार्टी के अंदर ही जो रार मची हुई है…उसे फिलहाल अपने भारत जोड़ो अभियान से ज्यादा खुद को जोड़ने की जरुरत ज्यादा है।उसे फिलहाल अपने भारत जोड़ो अभियान से ज्यादा खुद को जोड़ने की जरुरत ज्यादा है।

आज के लिए बस इतना ही। आपने अभी तक चैनल या पेज को सब्सक्राईब नहीं किया है तो जरुर करें… आपको हमारा पॉडकास्ट कैसा लगा…..इस बारे में कमेंट कर सकते हैं…इसे लेकर सुझाव दे सकते हैं…सुनो भई साधो में मैं फिर मिलूंगा….एक नए मुद्दे से आपको रुबरु कराने………तब तक के लिए आज्ञा दीजिए…..नमस्कार …आपका दिन शुभ हो।

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