पत्रकार Ravish Kumar ने हिंदी मीडियम के युवाओं के लिए लिखा पत्र, बोले- अशोभनीय हरकतों को आप लोगों ने आज के दौर में कर दिया सुशोभित

Ravish Kumar ने हिंदी मीडियम के छात्रों /युवाओं के लिए फेसबुक पर एक पोस्ट के माध्यम से एक लंबा-चौड़ा पत्र लिखा है।

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Ravish Kumar
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न्‍यूज चैनल NDTV के पत्रकार Ravish Kumar अक्‍सर अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर अलग-अलग विषयों पर अपनी प्रतिक्रिया देते रहते हैं। अब गुरुवार को Ravish Kumar ने हिंदी मीडियम में पढ़ाई करने वाले छात्रों और उससे पढ़ाई कर चुके युवाओं को लेकर कुछ लिखा है। Ravish Kumar ने हिंदी मीडियम के छात्रों /युवाओं को फेसबुक पर एक पोस्ट के माध्यम से एक लंबा-चौड़ा पत्र लिखा है।

पत्रकार रवीश कुमार का कहना है कि पिछले कुछ सालों से हिंदी मीडियम के छात्रों का जो गौरव कम हो गया था। रामनवमी के जुलूस के बाद युवाओं ने उस गौरव को वापस दिला दिया। हालांकि रवीश कुमार कहते हैं कि जो छात्र रामनवमी में धर्म के रक्षक बन रहे हैं उनको हिंदू धर्म का कुछ भी ज्ञान नहीं है। उन्होंने न ही शास्त्रों और न ही दर्शनों का अध्ययन किया है और धर्म के रक्षक बनने की उपलब्धि उन्होंने दूसरे धर्मों की मां-बहनों को गाली देकर हासिल की है।

Ravish Kumar
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साथ ही रवीश कुमार ने इन युवाओं को गणित और अंग्रेजी विषयों से परेशान रहने वाला बताया। उन्होंने यह भी कहा कि मैं दावा तो नहीं कर सकता लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि जितने भी युवा वीडियो में दिखाई दे रहे हैं उनमें से किसी ने भी डीपीएस और श्री राम स्कूल जैसे महंगे पब्लिक स्कूल में नहीं पढ़ाई की होगी।

पूरी किताब की जगह गालियों की कुंजी से धर्म रक्षक बन गए: Ravish Kumar

वहीं तंज में उन्‍होंने यह भी कहा कि यहां भी आप हिन्दी मीडियम वालों ने कुंजी पढ़ कर पास होने की मानसिकता का प्रमाण दे ही दिया। पूरी किताब की जगह गालियों की कुंजी से धर्म रक्षक बन गए। कोई बात नहीं। अभी आपकी हाथों में तलवारें हैं तो चुप रहना बेहतर है। इसलिए मैं आपकी प्रशंसाओं में श्रेष्ठ प्रशंसा भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहा हूं।

Ravish Kumar
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Ravish Kumar ने आगे लिखा कि हमने हिन्दी साहित्य की किताब में राधा कृष्ण की एक कहानी पढ़ी थी। भामिनी भूषण भट्टाचार्य शारीरिक कमज़ोरी के शिकार थे। जीवन में बहुत कुछ बनना चाहा, वकील भी बने, वकालत नहीं चली तो व्यायाम करने लगे। एक दिन उनके मित्र ने देखा कि कमरे के भीतर व्यायाम कर रहे हैं। उठा-पठक चल रही है। पूछने पर भामिनी भूषण भट्टाचार्य ने कहा कि मुझे कोई भला क्या पटकेगा, बल्कि मैं ही अभी पचास काल्पनिक पहलवानों को कुश्ती में पछाड़ कर आया हूं। मेरे प्यारे हिन्दी मीडियम वालों तलवार लिए आपको देखा तो राधाकृष्ण की कहानी कि ये पंक्तियां बरबस याद हो गईं।

ravish kumar
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इसमें भट्टाचार्य जी ताकत के जोश में बताने लगते हैं कि जल्दी ही मोटरें रोकने लगेंगे। लेकिन जब उनके मित्र ने ग़ौर से देखा तो शरीर में कोई तब्दीली नहीं आई थी। बिल्किुल वही के वही थे। लेकिन भट्टाचार्य मानने को तैयार नहीं थे कि व्यायाम के बाद भी वे दुबले ही हैं। लगे चारों तरफ से शरीर को दिखानें कि कैसे तगड़े हो गए हैं। अंत में मित्र ने कह दिया कि तुम गामा पहलवान से भी आगे निकल जाओगे। तब भामिनी भूषण भट्टाचार्य की एक पंक्ति है। अभी गामा की क्या बात, थोड़े दिनों में देखना, मैं बंगाल के सुप्रसिद्ध पहलवान गोबर से भी हेल्थ में आगे बढ़ जाऊंगा। इस पर लेखक लिखते हैं कि विचित्र विश्वास था।

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