सचिन पायलट गुट को राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है, राजस्थान में जारी सियासी घमासान के बीच हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। सचिन पायलट खेमे की ओर से दायर याचिका पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और विधानसभा स्पीकर के अयोग्यता नोटिस पर स्टे लगा दिया है, इस फैसले के बाद विधानसभा अध्यक्ष, सचिन पायलट और 18 अन्य विधायकों के खिलाफ फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगे। अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिक गई हैं, जहां सोमवार को मामले की सुनवाई होगी, सचिन पायलट खेमे को इस मामले में फिलहाल हाईकोर्ट से तात्कालिक राहत मिल गई है।

वहीं हाई कोर्ट में स्पीकर सीपी जोशी के वकील प्रतीक कासलीवाल ने कहा कि सचिन पायलट के लिए यह फौरी राहत है, हाई कोर्ट ने 14 तारीख को जारी किए गए नोटिस पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है. बागियों की अयोग्यता पर स्पीकर फैसला कर सकते हैं।

राजस्थान में सियासी घमासान के बीच बगावती तेवर अख्तियार करने वाले सचिन पायलट और कांग्रेस के बागी विधायकों ने 16 जुलाई को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पायलट गुट ने याचिका दाखिल करते हुए स्पीकर सीपी जोशी के अयोग्यता नोटिस को चुनौती दी थी। राजस्थान हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति प्रकाश गुप्ता की पीठ ने इस पर सुनवाई की थी।

अयोग्यता नोटिस पर 21 जुलाई को हाई कोर्ट ने अपना फैसला 24 जुलाई तक सुरक्षित रख लिया था, स्पीकर सीपी जोशी को कहा था कि वो तब तक इन विधायकों के खिलाफ कोई कार्यवाही ना करें। इसके खिलाफ स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को राहत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट फैसला दे सकता है, लेकिन, ये निर्णय इस बात पर निर्भर रहेगा कि स्पीकर की याचिका पर भविष्य में सुप्रीम कोर्ट क्या रुख अपनाता है।

पूरा मामला उस वक्त शुरू हुआ था जब राजस्थान में सियासी बवाल के बीच पिछले हफ्ते दो बार कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें पायलट गुट के हिस्सा नहीं लेने के लिए व्हिप का उल्लंघन करने पर पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की थी। इसके बाद स्पीकर ने इन विधायकों के खिलाफ अयोग्यता संबंधी नोटिस जारी किया। हालांकि, पायलट गुट का कहना है कि पार्टी का व्हिप विधानसभा सत्र के चलने के दौरान ही लागू होता है, इसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट का रूख किया था। बैठक में नहीं पहुंचने और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत के बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से बर्खास्त कर दिया गया था।

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