एक किशोरावस्था बच्चे के मन में क्या चल रहा है इसे कोई अन्दाजा नहीं लगा सकता है। खुशी और अकेलेपन से लेकर गुस्से और जलन जैसी इनकी मनोदसा कब और कैसी हो जाए किसी को नहीं पता, इस दौरान उनका स्वभाव कम विकसित होता और छोटी- छोटी बाते उन पर बुरे प्रभाव डालती है। ऐसे हालातो से माता-पिता को सावधानीपूर्वक निपटना चाहिए। कुछ बातें जिसे आप इस्तेमाल कर अपने किशोर के गुस्से से भरे हुए व्यवहार से निपटने के लिए कारगर साबित हो सकती हैं।

किशोरावस्था के बच्चो को मारें या डांटें नहीं

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जब किशोर या किशोरी गुस्से में हो तो उन्हे मारें या डांटे ना। ऐसा करना उनके गुस्से को और अक्रामक बना सकता है। उनसे जाकर बात करें और उनसे गुस्से और चिढ़ का कारण पूछे, इससे किशोर या किशोरी के गुस्से को सक्रिय करने वाले मुख्य कारणों के बारे में आपको जानकारी प्राप्त होगी।

उनकी मांग पूरी करना बंद कर दे
किशोर या किशोरी में गुस्से का कारण यह भी देखा जाता है कि अगर उनकी जिद्द (मांग) पूरी नहीं हो तो भी उन्हें गुस्सा आ जाता है। ऐसे हालातो से बचने का एक मात्र उपाय है कि आप पहले से ही इस बात का ध्यान रखे की उनकी हर मांग पूरी करने से बचे। बच्चे के शिशु अवस्था से ही इस बात को उसकी जहन में डाल दे कि मेरी हर मांग पूरी नहीं होगी, इससे वे हर चीज की मांग ही नहीं करेंगे।

उसे बाते शेयर करने के लिए प्रेरित करे
अगर किशोर खुद में ही खोया और काफी कम बात करता है, तो उसे अपनी बातों को शेयर करने के लिए प्रेरित करे। यह समय आपका है उससे बात करने का, आपको उसकी समस्या और गुस्से के कारण वाली बातों को जानना चाहिए। उसे यह भरोसा दिलाएं कि जब चाहे आपसे वह बात कर सकता है। इससे किशोर को आपके साथ बातें शेयर करने के लिए खुलने में मदद मिलेगी। उसके गुस्से को दूर रखने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करें।

कभी –कभी किशोर को अकेले छोड़ दे
एक अभिभावक को इतना जरुर पता होना चाहिए की उनके बच्चे को कब अकेले छोड़ना चाहिए । अगर दूसरे शब्दों में कहे तो किशोर का निजि स्थान। और कभी –कभी बहस से कब दूर जाना है। यह न केवल बच्चे को, बल्कि आपको भी शांत करेगा। एक बार वहां से चले जाएं, भले ही बाद में उस विषय के बारे में बच्चे से जान सकते हैं। उस पर विस्तार से बात भी कर सकते हैं।

किशोर को हमेशा एक अभिभावक की सीमा में रह कर डांटे।
बच्चे को डांटना जरूरी होता है लेकिन यह सुनिश्चित करें कि कब , कहा , कैसे और कितना डांटना है। अपने गुस्से को नियंत्रण में रखते हुए डांटें। बार-बार डांटने पर आपकी मूल्यों की कद्र खत्म हो सकती है। सही समय पर उचित तरीके से आप अपने बच्चे के गुस्से और उसकी समस्याओं से निपट सकते हैं और उनका समाधान भी कर सकते है।

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