Amrit Krishi: जानिए क्या है अमृत खेती, कैसे होगा इससे नए भारत का निर्माण

Amrit Krishi: एक कहावत तो सुनी होगी आपने ‘“जैसा खाए अन्न वैसा होए मन” आज इस कहावत को थोड़ा बदल कर देखते हैं “ जैसा खाए अन्न वैसा होए तन।”

0
446
Amrit Krishi
Amrit Krishi: जानिए क्या है अमृत खेती, कैसे होगा इससे नए भारत का निर्माण

– अंजु शर्मा

एक कहावत तो सुनी होगी आपने ‘“जैसा खाए अन्न वैसा होए मन” आज इस कहावत को थोड़ा बदल कर देखते हैं “ जैसा खाए अन्न वैसा होए तन।” आज के दौर में कुछ ऐसा ही चल रहा है। ये बात तो आप जानते ही हैं कि खेती-किसानी के रंग- ढंग अब बदल गए हैं। जो पारंपरिक खेती हुआ करती थी उसका स्थान अब रासायनिक खेती ने लिया है। एक तरफ तो ये रसायन वैसे ही खतरनाक है और किसान बिना विचार किए जरूरत से ज्यादा दवा खेतों में डाल देते हैं।

नतीजा यह होता है कि जो फसल तैयार होती है, वो बहुत ज़हरीली हो जाती है और जब ये जहरीले खाद्य पदार्थ हम तक पहुंचते हैं तो ये हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव डालते हैं। इस तरह के खाद्य पदार्थों की वजह से अनेक बीमारियां जन्म ले रही हैं। इससे निपटने के लिए बेहद ज़रूरी है कि खेती के तरीक़े को बदला जाए।

Amrit Krishi: जानिए क्या है अमृत खेती, कैसे होगा इससे नए भारत का निर्माण
Amrit Krishi

Amrit Krishi: जानिए क्या है अमृत खेती

खेती के वैसे बहुत से स्वरूप हैं जैसे- जैविक खेती, प्राकृतिक खेती, ज़ीरो बजट खेती, गौ आधारित खेती। लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं ‘अमृत खेती’ के बारे में। अमृत खेती क्या है? इसे समझने के लिए बेहद ज़रूरी है कि पहले प्रकृति के स्वरूप को समझा जाए और जाना जाए कि आखिर ये उपजाऊ मिट्टी बनती कैसे है? क़ुदरती रूप से उपजाऊ मिट्टी की एक इंच परत को तैयार होने में लगभग 100 से 500 वर्ष तक का समय लग जाता है। जिसमें एक पूरी प्रक्रिया शामिल होती है।

मौसम और पर्यावरण के उतार-चढ़ाव से चट्टानों का टूटना, धीरे-धीरे इन चट्टानों के टुकड़ों का पाउडर बनना, उस पर पेड़ों की पत्तियों का गिरना, जीवों के मल मूत्र व अन्य कुदरती अवशेषों का इसमें मिलकर सड़ जाना। इस तरह धीरे-धीरे तैयार होती है मिट्टी की ऊपरी उपजाऊ परत। इसमें भी सबसे ज़्यादा उपजाऊ मिट्टी मानी जाती है वर्षा वनों की, क्योंकि वहां की मिटटी में पत्तों की मात्रा सबसे ज्यादा होती है। इस मिट्टी को कहा जाता है ‘अमृत मिट्टी’ और इस मिट्टी में होने वाली खेती कहलाती है ‘अमृत खेती’।

आजकल अमृत मिट्टी तो बची नहीं है। क्योंकि किसान के खेत बहुत भारी मात्रा में खतरनाक रसायन पी चुके हैं। ऐसे में हमें सबसे पहले अमृत मिट्टी को बनाना पड़ेगा ।

अमृत मिट्टी तैयार करने के मुख्य चार चरण हैं 
पहला : अमृत जल तैयार करना
दूसरा : पत्तियों का ढेर तैयार करना
तीसरा : ढेर का हरीतिकरण करना
चौथा : ढेर की देखभाल करना

अमृत जल तैयार करना
अमृत जल बनता है पशु के गोबर, मूत्र, गुड़ और पानी के मिश्रण से। यूं तो इसे बनाने के लिए हर नस्ल की गाय, हाथी, घोड़ा, गधा या भेड़ बकरी आदि के गोबर का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन देसी नस्ल की गाय के गोबर में सबसे ज्यादा जीवाणु पाए जाते हैं, इसलिए देसी गाय का गोबर और गौमूत्र का उपयोग सबसे ज्यादा अच्छा रहता है। इसे बनाने की विधि भी बहुत आसान है।

Amrit Krishi: जानिए क्या है अमृत खेती, कैसे होगा इससे नए भारत का निर्माण
Amrit Krishi

सामग्री – 112 लीटर अमृत जल बनाने के लिए 1 किलो गोबर, 1 लीटर गौमूत्र व 50 ग्राम गुड़ लगता है। गुड़ नहीं है तो 4-5 दिन रखा हरे गन्ने का रस या  5-6 पके केले या चीकू आदि भी ले सकते हैं।

विधि – गोबर, गौमूत्र और गुड़ को मिलाकर एक चिकना घोल तैयार कर लें, मिट्टी का एक मटका लें उसमें 10 लीटर पानी डालें अब इसमें बनाए गए घोल को डालें। इस बर्तन को तीन दिनों के लिए किसी खुले व छायादार स्थान पर रख दें। चौथे दिन इसे 100 लीटर पानी में मिला कर इसका इस्तेमाल अमृत मिट्टी बनाने या सीधे फसल पर कर सकते हैं।

पत्तियों का ढेर तैयार करना
एक ढेर जिसकी लम्बाई 10 फीट, चौड़ाई 3 फीट और ऊंचाई 1 फुट हो इसे बनाने में करीब 1000 लीटर अमृत जल, 100 से 125 किलोग्राम जैविक कचरा, 25 लीटर महीन मिट्टी लगती है। जैविक कचरे में कोई भी स्थानीय वनस्पति ले सकते हैं जैसे- पेड़ों के पत्ते, बेल के पत्ते, सूखी घासफूंस, खरपतवार, धान व गेहूं आदि की पुआल, फल, फूल, दलहन, तिलहन, आदि की फसल से निकला भूसा या उपयोग न होने वाला पदार्थ जो भी उपलब्ध हो ले सकते हैं ।

ध्यान रखे जो भी वनस्पति ले रहे हैं वो अच्छी तरह से सूखा होनी चाहिए। जो भी बायोमास एकत्र किया है। उसे अमृत जल में 24 घंटे के लिए भिगोकर रख दें। बायोमास अमृत जल में अच्छे से डूब जाना चाहिए। 24 घंटे बाद इस बायोमास को निकालकर जमीन पर 3 फीट चौड़ी और 10 फीट लम्बी पतली परत बिछा दें।

इसके ऊपर एक पतली परत मिट्टी की लगाएं। इसी प्रक्रिया को बार- बार दोहराएं और करीब 20-25 परत बायोमास और लगभग 20-25 परत मिट्टी की लगाते हुए ढेर को एक फुट ऊंचा बना लें। सबसे ऊपर 2-3 इंच मोटी परत गोबर या कम्पोस्ट खाद की लगाएं। अब इस ढेर के ऊपर अमृत जल का छिड़काव करें और 2-3 इंच मोटी घासफूंस की परत लगाकर मल्चिंग कर दें।

ध्यान रखें कि मल्चिंग करने से पहले घासफूंस को अमृत जल में भिगो लें। एक माह में चार बार यानी प्रति सप्ताह इस ढेर को उलट पलट दें। हर बार उलट पलट करने के बाद इस पर आवश्यकता अनुसार अमृत जल का छिड़काव करें और मल्चिंग भी करें।

Amrit Krishi: जानिए क्या है अमृत खेती, कैसे होगा इससे नए भारत का निर्माण
Amrit Krishi

ढेर का हरीतिकरण करना- ढेर पर पौधे लगाना 
आयुर्वेद के अनुसार छः प्रकार के रस होते है। (जैसे-मीठा, तीखा, कड़वा, खट्टा, कसैला, नमकीन) इन छः रसों को ध्यान रखते हुए करीब 10 तरह के निम्न जीवी, मध्यम जीवी और दीर्घ जीवी यानी चार माह तक चलने वाले 3, 4 साल तक चलने वाले और बहुवर्षीय पौधों के 300 ग्राम बीज इकट्ठा करें जैसे -धनिया, सौंफ, मेथी, ज्वार, बाजरा, मक्का, दाल, तिल, सरसों, बबूल, महुआ, नीबू, टमामर या औषद्धीय आदि।

ध्यान रहे कि ये सभी बीज देसी होने चाहिए। इन बीजों को चार से आठ घंटे अमृत जल में भिगोकर रखें। जो बीज अमृत जल पर तैरने लगे उन्हें हटा दें क्योंकि वे उपजाऊ नहीं होंगे। इसके बाद बीजों को ढेर के ऊपर फैला दें और ऊपर से इस पर आधा इंच मिट्टी या खाद की परत बिछाकर सभी बीजों को ढक दें। इस पर हल्का सा अमृत जल का छिड़काव करके मल्चिंग करें। मल्चिंग करने से पहले बायोमास को अमृत जल में भिगो लें ।

ढेर की देखभाल 

पौधे जब 21 दिन के हो जाएं तो इनका 25 प्रतिशत हिस्सा तोड़कर ढेर पर फैला दें। फिर से 21 दिन तक पौधों को बढ़ने दें और 42 दिन के बाद फिर से 25 प्रतिशत भाग तोड़कर इसी ढेर पर डाल दें। फिर से 21 दिन का इंतज़ार करें और 63वें दिन जब पौधे पर फूल आने लगे तो सभी पौधों को ज़मीन से आधा या एक इंच ऊपर से काट लें। इसके छोटे- छोटे टुकड़े करें और वापस ढेर पर फैला दें। तीन चार दिन इसे सूखने दें। जब ये सूख जाए तब इसे अमृत जल में भिगोकर ढेर पर फैला दें और मल्चिंग कर दें। सात दिन बाद पूरे ढेर को पलट दें। फिर हर सप्ताह इसे पलटते रहें। 140 दिन में अमृत मिट्टी बनकर तैयार हो जाएगी ।

अमृत मिटटी की जांच 

Amrit Krishi: जानिए क्या है अमृत खेती, कैसे होगा इससे नए भारत का निर्माण
Amrit Krishi

मिट्टी ठीक प्रकार से तैयार हुई है या नहीं इसका पता लगाने के लिए, मिट्टी को दोनों हाथों से दबाते हुए लड्डू जैसा बना लें। इस लड्डू को 4-5 फीट की ऊंचाई से ढेर पर छोड़ दें। मिट्टी ढेर पर फैल जानी चाहिए इससे पता चलता है कि हमारी अमृत मिट्टी ठीक से तैयार हुई है। एक बार खेत में इस्तेमाल करने के बाद 20 वर्षों तक किसी भी खाद या पेस्टीसाइड की आवश्यकता नहीं होती। इस मिट्टी के गुणों को देखते हुए ही, भूतपूर्व वरिष्ठ माइक्रो बायोलाजीस्ट डॉ.ओ.पी. रुपेला ने इसे अमृत मिट्टी का नाम दिया है।

अमृत मिट्टी का उपयोग

आइए अब जानते हैं कि अमृत मिट्टी का उपयोग कैसे करना है। खेत में प्रति वर्ग फुट 4 लीटर मिट्टी का फैलाव करें और इस पर फसल या पौध की रोपाई करें। अब जैसा कि मैंने आपको पहले भी बताया है कि ये मिट्टी केवल एक ही बार तैयार करनी पड़ती है इसके बाद हर बार फसल लेने के पश्चात् जो भी बायोमास बचता है उसे खेत में ही छोड़ दें इस तरह से मिट्टी हमेशा उपजाऊ बनी रहेगी। लेकिन खेत में अमृत जल का छिड़काव पांच वर्षों तक करना पड़ेगा।

अमृत जल का इस्तेमाल कुछ इस प्रकार करें
पहले साल 7 दिन में एक बार
दूसरे साल 15 दिन में एक बार
तीसरे साल एक माह में एक बार
चौथे साल- तीन माह में एक बार
पांचवे साल- छह माह में एक बार

इसके बाद अमृत जल भी देने की आवश्यकता नहीं है। इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए किसान अमृत खेती कर सकते हैं। इससे विष मुक्त कृषि उत्पाद प्राप्त होंगे साथ ही किसानों को भी इससे बहुत लाभ होगा क्योंकि ये अमृत समान अन्य उत्पादों के मुक़ाबले ज़्यादा महंगे बिकते हैं। इन्हें बेचने के लिए किसानों को मंडियों के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ेंगे। लोग किसान के खेतों से इन्हें हाथो-हाथ ख़रीद लेंगे।

सबसे बड़ी बात ये कि आज कृषि लागत से किसान परेशान रहते हैं। आए दिन आत्महत्या करते हैं क्योंकि अधिक लागत और कम मुनाफ़े के कारण खेती घाटे का सौदा बन रही है ऐसे में अमृत खेती किसान के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है। लेकिन अगर किसानों को इससे मिलने वाली आमदनी या उत्पाद को लेकर कोई संशय है तो, वे एक साथ पूरे खेत में अमृत खेती ना करें बल्कि वो प्रयोग के तौर पर कम क्षेत्र में कर सकते हैं। वैसे आपको बता दें कि अमृत खेती भविष्य की खेती है। आज इसका स्थान सबसे ऊपर माना जा रहा है।

संबंधित खबरें:

क्या है Sprirulina Farming? जिससे किसानों की बढ़ रही है आमदनी…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here