-दया सागर

पूरे देश भर में आज 71वा स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने आज लाल किले के प्राचीर से झंडा फहराया और ‘न्यू इंडिया’ का संदेश दिया। वहीं सभी राज्यों के राजभवनों, सरकारी कार्यालयों और सार्वजानिक स्थलों पर भी तिरंगा फहराया गया और तमाम कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट में भी स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया गया और मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने सभी नागरिकों को भारतीयता पर गर्व करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा आपको अपने पहचान (आइडेंटिटी) के सभी मानकों मसलन जाति, धर्म, नस्ल, लिंग और रंग के साथ-साथ अपने राष्ट्रीयता पर भी गर्व करना चाहिए।

गुमनाम शहीदों को किया याद

जस्टिस खेहर ने अपने भाषण की शुरुआत में उन शहीदों को याद किया जिनके नाम इतिहास के पन्ने में कहीं नहीं मिलते। उन्होंने कहा उन शहीदों को नमन जिन्होंने हमारे और हमारे बच्चों के भविष्य के लिए कुर्बानी दी। उन्हें आज याद करने का दिन है।

इस अवसर पर चीफ जस्टिस ने अब्दुल्लाह और शेर अली अफरीदी नाम के दो गुमनाम क्रांतिकारियों को भी याद किया, जिन्होंने क्रमशः ब्रिटिश मुख्य न्यायाधीश और वायसराय लार्ड मेयो को गोली मारी थी।

चीफ जस्टिस ने कहा कि इतिहास में ऐसे अनेक शहीद हैं, जो अनेक जातियों और धर्मों से हैं और जिन्होंने हम सबके लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी। जस्टिस खेहर ने कहा कि आज उन गुमनाम शहीदों को याद करने का दिन है। उन्होंने बताया कि उनकी दादी ने भी लाला लाजपत राय के साथ देश के आजादी के जंग में भाग लिया था।

प्रजा और नागरिक में होता है अंतर

अपने केन्या के दिनों को याद करते हुए जस्टिस खेहर ने कहा कि प्रजा (सब्जेक्ट) और नागरिक (सिटीजन) होने में बहुत बड़ा फर्क होता है, इसलिए भी हमें इस स्वतंत्रता के अहमियत को समझना चाहिए। हम आपको बता दें कि जस्टिस खेहर जन्म से भारतीय मूल के नागरिक नहीं हैं। उनका जन्म केन्या में हुआ था और वे भारतीय मूल के केन्याई नागरिक थे।

Justice Khahrजस्टिस खेहर को भारत आने के बाद उन्हें भारतीय नागरिकता दी गई और अब वे लोकतंत्र के तीसरे खंभे के सर्वोच्च पद पर काबिज हैं। उन्होंने कहा केन्या में ऐसा नहीं था और हम भारतीयों को ब्रिटिशर्स, अमरीकन, यूरोपियन और अफ्रीकन लोगों के आगे दोयम  नागरिक (सेकंड सिटीजन) समझा जाता था।

जस्टिस खेहर ने बताया कि लेकिन जब वह भारत आए तो उनके साथ कोई भी दोहरा बर्ताव नहीं किया गया। उन्हें भारतीय नागरिकता काफी बाद में मिली लेकिन उनके साथ शुरू से ही समानता का व्यवहार भी किया गया और इसी के बदौलत उन्हें इस पद पर आने का मौका मिला।

नागरिकता का महत्व बताते हुए जस्टिस खेहर ने कहा कि नागरिकता के साथ ही स्वतंत्रता और समानता का भाव आता है। उन्होंने देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री का उदाहरण देते हुए कहा कि इन लोगों को समान अवसर मिला तभी ये लोग नीचे से उठकर देश के सर्वोच्च पदों पर काबिज हुए।

आजादी में रहा है वकीलों का योगदान

जस्टिस खेहर ने कहा कि इस आजादी में देश के वकीलों का भी योगदान रहा है। हम जितने भी स्वतंत्रता सेनानियों के नाम जानते हैं उनमे से अधितकतर पेशे से वकील थे। वकीलों ने संविधान निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश की जनता को संविधान देकर प्रजा से नागरिक बनाया। उन्होंने वकीलों से आह्वान किया वे देश के निर्माण में अपना सतत योगदान देते रहे ताकि न्यू इंडिया बनाया जा सके।

जस्टिस खेहर ने कहा कि न्यायिक सुधारों की प्रक्रिया सतत रूप से चल रही है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के वेबसाइट पर अब सिर्फ फैसले ही नहीं सुप्रीम कोर्ट के रिपोर्ट, ई-लाइब्रेरी और वकालत से सम्बंधित सभी सॉफ्टवेयर्स वकीलों को मुफ्त में उपलब्ध रहेंगे।

हम आपको बता दें कि जस्टिस खेहर जल्द ही सेवानिवृत होने वाले हैं।

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