निर्माण क्षेत्र के मजदूरों के कल्याण की यजनाओं के ना बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अब सख्त रुख अपना लिया है। ताजा आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निर्माण मजदूरों के कल्याण की योजना हर हाल में 30 सितंबर तक तैयार हो जानी चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर के पहले सप्ताह में होगी।
कंस्ट्रक्शन मजदूरों पर केंद्र सरकार के रवैये पर कई बार नाराजगी जता चुके सुप्रीम कोर्ट ने अब आदेश दिया है कि केंद्र को इस क्षेत्र से जुड़े लाखों मजदूरों के कल्याण के लिए योजना बनानी ही होगी। कोर्ट ने इसके लिए 30 सितंबर की डेडलाइन भी तैयार कर दी है। जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार 30 अगस्त तक ड्राफ्ट स्कीम पर सारी आपत्तियां और सलाह मंगा ले। यह आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि इसके बाद सरकार को कोई रियात और समय नहीं दिया जाएगा।
इससे पहले तीन जुलाई को योजना का मसौदा श्रम मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड नहीं करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि मजदूरों के कल्याण के नाम पर सेस के जरिये 30 हजार करोड़ रुपये इकट्ठा करने के बावजूद उनकी दिक्कतों को लेकर आप गंभीर नहीं है। तब अदालत ने कहा था कि सरकार गरीबों के लिए योजना का मजाक बना रही है। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्रीय श्रम सचिव को पेश होकर यह बताने के निर्देश दिए कि उसके आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया है।
इससे पहले जब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने हलफनामा दाखिल किया था तो भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जमकर लताड़ लगाते हुए कहा था कि निर्माण मजदूरों के कल्याण के लिए इक्टठे किए गए पैसों का इस्तेमाल लेपटॉप और वाशिंग मशीनें खरीदने में कर लिया गया और मुख्य काम पर तो 10 फीसदी से भी कम खर्च हुआ। अब मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर के पहले हफ्ते में होगी।