उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बड़ी राहत मिली है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार (22 फरवरी) को एक याचिका पर सुनवाई कर गोरखपुर दंगों में उनकी भूमिका की जांच की मांग को खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि सरकार की ओर से मुकदमा चलाने की अनुमति ना देने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं दिखती है।

कोर्ट के इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक बड़ी परेशानी दूर हो गयी। 2007 में गोरखपुर में हुए दंगों के मामले में उन पर मुकदमा नहीं चलेगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस ए सी शर्मा की खंडपीठ ने परवेज परवाज की याचिका खारिज करते हुए कहा कि सरकार की ओर से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाने की जो अनुमति नहीं दी गई उस प्रक्रिया में कोई भी गड़बड़ी नहीं है। योगी आदित्यनाथ के अलावा तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी, विधायक राधा मोहन अग्रवाल और अन्य पर सरकार ने केस चलाने की अनुमति नही दी थी ।

इस मामले के आरोपियों में योगी का भी नाम था। हाईकोर्ट के आदेश पर 2008 में गोरखपुर के कैन्ट थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। बाद में मुकदमे की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गई थी। इसी मामले में एक याचिका दाखिल कर उनकी भूमिका की जांच के लिए सीबीआई से दोबारा जांच करवाने की मांग की गई थी। साथ ही सरकार के उस आदेश को भी चुनौती दी गई जिसमें मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी गई थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले साल 3 मई को आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। राज्य सरकार ने यह कहते हुए मुख्यमंत्री पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था कि आदित्यनाथ के कथित भड़काऊ भाषण की विडियो रिकॉर्डिंग से छेड़छाड़ की गई है।

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