Hijab Controversy: हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट में वकील की दलील, “हिजाब बैन के कारण 17 हजार छात्राओं ने स्कूल ड्रॉप आउट किया”

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Hijab Controversy: हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट में वकील की दलील,
Hijab Controversy: हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट में वकील की दलील, "हिजाब बैन के कारण 17 हजार छात्राओं ने स्कूल ड्रॉप आउट किया"

Hijab Controversy: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हिजाब बैन करने के मामले को लेकर अहम सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील हुजैफा अहमदी ने तर्क दिया कि हिजाब को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के बाद हजारों लड़कियों ने स्कूल ड्रॉप आउट कर लिया है। वहीं, वकील देवदत्त कामत ने कहा कि अगर फैसले को बदला जाता है तो आगे चलकर मामला और खराब हो सकता है।

Supreme Court
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Hijab Controversy: 17 हजार छात्राओं ने स्कूल ड्रॉपआउट किया

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील हुजैफा अहमदी से जस्टिस सुधांशु धूलिया ने पूछा कि क्या आपके पास कोई संख्या है कि कितनी छात्राओं ने हिजाब की वजह से स्कूल ड्रॉपआउट किया है। इसके जवाब में अहमदी ने कहा कि PUCL की रिपोर्ट के अनुसार 17 हजार छात्राओं ने स्कूल ड्रॉपआउट किया है, यहां तक कि वे परीक्षा में भी नहीं बैठ पाई हैं।

अहमदी ने जोर देते हुए कहा कि हिजाब के कारण छात्राएं शिक्षा से वंचित हो गई हैं। वकील हुजैफा अहमदी ने कई तरह की दलीलें पेश करते हुए कहा कि किसी का हिजाब पहनना दूसरे को गलत कैसे लग सकता है।

उन्होंने कहा कि राज्य का काम है कि वो विविधताओं को बढ़ावा दें न कि प्रथाओं को रोकने की कोशिश करना। अगर कोई भी हिजाब पहनकर स्कूल जा रहा है तो इससे दूसरे को क्या परेशानी है? क्यूं किसी एक के हिजाब पहनने से दूसरा कोई भड़के? सरकार शायद कैंपस के छात्रों को अनुमति देने की कोशिश कर रही है कि कोई भी छात्र दूसरे छात्रों को धमकी दे सकें।

वकील अहमदी ने कहा कि यह फैसला संविधान की भाईचारे की प्रस्तावना के विपरीत है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार स्कूल विविधता और आलोचनात्मक सोच को स्वीकार करते हैं।

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Hijab Controversy

Hijab Controversy: काफी बढ़ सकता है मुद्दा

इससे पहले मंगलवार को इस मामले में लंबी पूछताछ की गई थी। इसमें कई तरह के तर्क रखे गए थे। इसमें याचिकाकर्ता देवदत्त कामत ने तर्क दिया था कि हिजाब पहनना या न पहनना धार्मिक विश्वास का मामला है। लेकिन ऐसे मुद्दों को तब उठाना चाहिए जब राज्य किसी धार्मिक विधि-विधानों को रोकने या पूरी तरह से खत्म करने की कोशिश करें।

साथ ही कामत में कहा कि आगे मामला और भी बढ़ सकता है। हो सकता है कल कुछ छात्र बोले कि हम भी भगवा रंग का गमछा पहन कर आएंगे। वो कहेंगे कि आप हिजाब पहनोगे तो हम भी भगवा गमछा पहनेंगे। यह सभी जानते हैं कि भगवा गमछा धार्मिक मान्यताओं का स्वाभाविक प्रदर्शन है, बल्कि कहा जा सकता है कि जानबूझकर इसे धार्मिक प्रदर्शन के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

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