दिल्ली की एक अदालत ने एक अहम फैसले में पति को अपनी पूर्व पत्नी को गुज़ारा भत्ता देने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा है कि अगर पत्नी नौकरी भी कर रही है तो भी उसे गुज़ारा भत्ता का अधिकार है। वह उस लाइफस्टाइल और स्टेटस की हकदार है जो उसे अपने पति के साथ रहने के दौरान हालिस था।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अपने पति का घर को छोड़ने के बाद महिला को कई तरह की दिक्कतों का समना करना पड़ता है। भले ही वह अपने पैतृक घर में रह रही हो लेकिन फिर भी उसकी कुछ जरुरतें रहती हैं जिन्हें पूरा करने के लिए उसे आर्थिक मदद की जरुरत होती है। महिला पर बच्चे की देखभाल की भी जिम्मेदारी रहती है।

इस मामले में दंपती की शादी भारत में हुआ थी, शादी के बाद दोनों सिंगापुर चले गए। वहां पर दोनों के बीच आपसी मतभेद हुए और पत्नी ने अपने पति पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया। जून 2011 में पत्नी वापस भारत आ गई। सितंबर 2014 में दोनों तलाक लेकर अलग हो गए। इसके बाद पत्नी ने सिंगापुर की अदालत में गुजारा भत्ते के लिए केस किया लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया। भारत आने पर पत्नी ने ट्रायल कोर्ट में केस किया जिस पर फैसला देते हुए कोर्ट ने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। ट्रायल कोर्ट ने पत्नी को 1 लाख रुपये और बच्चे की परवरिश के लिए 40 हज़ार रुपये देने का आदेश दिया।

इसके बाद पति ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सेशन कोर्ट में चुनौती दी। पति की तरफ से दलील दी गई कि उसकी पूर्व पत्नी MBA डिग्री होल्डर है और वह उससे ज़्यादा कमा सकती है। पति ने यह भी कहा कि सिंगापुर में दिल्ली के मुकाबले खर्चा दोगुना है और उसकी सैलरी का एक बड़ा हिस्सा इन जरूरतों को पूरा करने में चला जाता है। लेकिन कोर्ट ने पति की तमाम दलीलों को दरकिनार कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि बच्चे को भी उसी लिविंग स्टैंडर्ड का हक है जो उसे पिता के साथ रहने के दौरान मिलता था।

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