Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल मांगी।शीर्ष अदालत का कहना है कि वह जानना चाहती है कि निर्वाचन आयुक्त के रूप में गोयल की नियुक्ति में कहीं हुछ अनुचित तो नहीं। मालूम हो कि पूर्व नौकरशाह अरुण गोयल ने देश के नए चुनाव आयुक्त के तौर पर पदभार संभाल लिया है। इनके पद संभालने के साथ ही कई विरोधाभास भी सामने आ रहे हैं।
मालूम हो कि गोयल 1985 बैच के पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने 18 नवंबर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी।अटॉर्नी जनरल ने कहा कल वह दूसरी संविधान पीठ में व्यस्त हैं, लेकिन कोर्ट ने कहा कि कोई बात नहीं,आप किसी और को इस काम में लगा सकते हैं।इस पर केंद्र पर सवाल दागते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति पर ऐसी भी क्या हड़बड़ी थी?
हालांकि, उन्हें 60 साल का होने के बाद 31 दिसंबर 2022 को सेवानिवृत्त होना था। अरुण गोयल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय के साथ निर्वाचन आयोग का हिस्सा बन गए हैं। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा के 14 मई को सेवानिवृत्त होने के बाद से राजीव कुमार को प्रभार सौंपने के बाद से यह पद खाली था।
Supreme Court: अटॉर्नी जनरल आर.वेंकटरमणि ने जताई आपत्ति
Supreme Court: जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ चुनाव सुधार से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही है।गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल देखने की संविधान पीठ की इच्छा पर अटॉर्नी जनरल आर.वेंकटरमणि ने आपत्ति जताई, हालांकि कोर्ट ने इन्हें खारिज कर दिया। पीठ का साफतौर पर कहना था कि पिछले गुरुवार को सुनवाई शुरू की थी।
गोयल की नियुक्ति 19 नवंबर को प्रभावी हुई।ऐसे में कोर्ट ये जानना चाहता है कि यह कदम उठाने के लिए उन्हें किस बात ने प्रेरित किया था। दूसरा अगर उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी, तो उसके लिए 3 माह का नोटिस अनिवार्य है। क्या उन्होंने नोटिस देकर सेवानिवृत्ति ली। शीर्ष अदालत ने कहा कि जरूरी नहीं हम फाइल देखें, लेकिन आप फाइल को कोर्ट में लेकर आएं।
Supreme Court: सरकार ने आनन-फानन में निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया-याचिकाकर्ता
Supreme Court: अटॉर्नी जनरल ने कहा कल वह दूसरी संविधान पीठ में व्यस्त हैं, लेकिन कोर्ट ने कहा कि कोई बात नहीं,आप किसी और को इस काम में लगा सकते हैं।याचिकाकर्ता अनूप बर्णवाल की ओर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि निर्वाचन आयुक्त गुरुवार तक सरकार में बतौर सचिव स्तर के एक अधिकारी के रूप में काम कर रहे थे। अचानक शुक्रवार को वीआरएस दे दिया गया और निर्वाचन आयुक्त नियुक्त कर दिया गया।ऐसे में सरकार ने आनन-फानन में एक निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया।
Supreme Court: क्या बोला चुनाव आयोग?
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि कोर्ट में जो याचिकाएं दायर की गईं हैं, उनमें वही प्रस्ताव है, जो आयोग ने केंद्र सरकार को भेजा था।ऐेसे में कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
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