एक साथ तीन तलाक पर रोक लगाने वाले विधेयक को लोकसभा ने पारित कर दिया है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों का संरक्षण) विधेयक को लोकसभा में गुरुवार शाम को वोटिंग कराई गई और अधिकतर सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया। तीन तलाक को अपराध करार देने वाले इस विधेयक को सुबह कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया था, जिस पर दिन भर चली बहस के बाद वोटिंग हुई।

 

इस विधेयक में संशोधन को लेकर विपक्ष के कई प्रस्ताव खारिज हो गए। एमआईएम के सांसद असद्दुदीन ओवैसी का प्रस्ताव 2 वोटों के मुकाबले 241 मतों के भारी अंतर से खारिज कर दिया गया, जबकि 4 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। इस दौरान लोकसभा में जय श्री राम के नारे लगे।

 

इससे पहले आज सुबह सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले तीन तलाक पर बैन के बाद अब मोदी सरकार इसके खिलाफ गुरुवार (28 दिसंबर) को संसद में बिल पेश कर दिया था। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल पेश किया। इसके जरिए जुबानी, लिखित या किसी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से एक साथ तीन तलाक  (तलाक-ए-बिद्दत) को गैरकानूनी बनाया जाएगा। इस बिल के तहत अगर कोई व्यक्ति एक समय में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है, तो वह गैरजमानती अपराध माना जाएगा और उसे तीन साल की सजा भी हो सकती है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बिल को महिला विरोधी बताया है और सज़ा के प्रावधान का विरोध कर रहा है। दरअसल तीन तलाक विधेयक को गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले अंतर मंत्रीस्तरीय समूह ने तैयार किया है इसमें मौखिक, लिखित या एसएमएस या फिर व्हाट्सएप के जरिये किसी भी रूप में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को अवैध करार देने और पति को तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक को इस महीने ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी।

तीन तलाक के खिलाफ बिल के प्रावधान

1.बिल के प्रारुप के मुताबिक एक वक्त में तीन तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) गैरकानूनी होगा।

2.एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी और शून्य होगा ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है। यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध माना जाएगा।

3.ड्रॉफ्ट बिल के मुताबिक एक बार में तीन तलाक या ‘तलाक ए बिद्दत’ पर लागू होगा और यह पीड़िता को अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से गुहार लगाने की शक्ति देगा।

4.पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है। मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे।

5.यह प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा।

विपक्षी पार्टी कांग्रेस इस बिल का संसद में सरकार का साथ दे सकती है। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में बुधवार देर रात कांग्रेस की इस मुद्दे पर बैठक हुई। प्रधानमंत्री का तरफ से भी कहा गया था कि यह बिल सर्वसम्मति से पास होना चाहिए। परंतु ऐसा हो ना सका। अब इस के राज्यसभा में पास होने का इंतजार है।

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