मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजायाफ्ता अमरमणि त्रिपाठी जेल से होंगे रिहा, कोर्ट ने निधि शुक्ला को नहीं दी राहत

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madhumita shukla murder case
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मधुमिता शुक्ला हत्याकांड मामले में दोषी अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि की समय से पूर्व रिहाई के खिलाफ दाखिल अर्जी पर आज सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। मधुमिता की बहन निधि शुक्ला की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दोषी अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि की समय से पूर्व की रिहाई का विरोध किया गया। इसके अलावा याचिका में कई और दलील दी गई हैं। जिसमें कहा गया है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अन्य मामलों मे दिए गए आदेशों का हवाला देकर गलत तरीके से अपनी रिहाई के लिए जमीन तैयार की। फिलहाल मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला को कोई राहत नहीं मिली। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर 8 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है।

कोर्ट ने अमरमणि और उनकी पत्नी की रिहाई पर रोक लगाने से इनकार किया। बता दें कि साल 2003 में कवयित्री मधुमिता शुक्ला की सनसनीखेज हत्या के दोषी उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को जेल से रिहा किया जाएगा। यूपी सरकार ने अपने आदेश में कहा कि त्रिपाठी और उनकी पत्नी 2007 से आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, लेकिन जेल में ‘अच्छे आचरण’ के आधार पर उन्हें रिहा कर दिया जाएगा।

गौरतलब है कि एक समय में मायावती सरकार में मंत्री रहे, त्रिपाठी को बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो के राइट हैंड के रूप में देखा जाता था। त्रिपाठी ने शुरू में दावा किया था कि मधुमिता की हत्या से उनका कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा की गई डीएनए जांच के बाद पता चला कि जब शुक्ला की गोली मारकर हत्या की गई थी तब उनके पेट में जो बच्चा था वह त्रिपाठी का था।

क्या था मधुमिता शुक्ला हत्याकांड?

प्रखर कवयित्री मधुमिता शुक्ला की 9 मई 2003 को हत्या कर दी गई थी। उनका शव लखनऊ के निशातगंज इलाके में उनके घर पर पाया गया था। मधुमिता 24 साल की थीं और कथित तौर पर त्रिपाठी की प्रेमिका थीं। अमरमणि त्रिपाठी उस समय चार बार विधायक रहे थे, उनके विभिन्न राजनीतिक दलों से संबंध थे और उनका काफी प्रभाव था। यही वजह थी कि शुक्ला के परिवार को डर था कि त्रिपाठी जांच में हस्तक्षेप कर सकते हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लखनऊ से देहरादून स्थानांतरित कर दिया था।

जब शुक्ला की मृत्यु हुई तब वह गर्भवती थीं और बताया जाता है कि उनके पेट में जो बच्चा था उसके पिता त्रिपाठी थे। जिसकी पुष्टि सीबीआई द्वारा फोरेंसिक जांच के बाद की गई। यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी ने मधुमिता शुक्ला की हत्या से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया था।

जांच कैसे हुई?

मायावती ने शुरू में पुलिस के आपराधिक जांच विभाग द्वारा जांच का आदेश दिया था लेकिन मधुमिता शुक्ला की मां की अपील के बाद मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। अंततः सीबीआई को बुलाया गया और सितंबर 2003 में अमरमणि त्रिपाठी को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, उन्हें केवल सात महीने बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जमानत पर रिहा कर दिया।

बाद में मधुमिता शुक्ला का परिवार अपने आरोपों के साथ सामने आया और सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसने मामले को देहरादून स्थानांतरित कर दिया और दैनिक सुनवाई का आदेश दिया। छह महीने से भी कम समय में मामला ख़त्म हो गया।

निर्णय

अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि और दो अन्य – रोहित चतुर्वेदी और संतोष कुमार राय – को देहरादून की एक अदालत ने दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। पांच साल बाद उत्तराखंड हाई कोर्ट ने चारों को दी गई सज़ा बरकरार रखी।

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