तेलंगाना उच्च न्यायालय ने एमसीआई को नोटिस जारी करते हुए डॉक्टरों को परामर्श और जेनेरिक नामों और दवाओं को बड़े अक्षरों में  लिखने की मांग की|

भारतीय चिकित्सा परिषद के प्रावधानों को लागू करने की मांग वाली याचिका पर तेलंगाना के उच्च न्यायालय ने  केंद्र, राज्य और चिकित्सा परिषद को नोटिस जारी किया, जिसमें “प्रत्येक चिकित्सक को कानूनी रूप से और अधिमानतः बड़े अक्षरों में दवाओं को लिखने का आदेश दिया गया है।”

मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति बी. विजयन रेड्डी की पीठ ने नलगोंडा जिले के एक सेवानिवृत्त सरकारी शिक्षक द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी,

जिसमें भारतीय चिकित्सा परिषद के (व्यावसायिक आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम, 2002, के रेगुलेटरी संख्या 1.5 के अनुपालन के लिए राज्य के चिकित्सा शिक्षा निदेशक और स्वास्थ्य विज्ञान निदेशक को निर्देश देने की मांग की गई ।  डॉक्टरों की अवैध लिखावट के कारण होने वाले भ्रम से बचा जा सके|

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि यद्यपि एमसीआई द्वारा निर्धारित नियमों को अनिवार्य कर दिया गया है, लेकिन डॉक्टर उन मानदंडों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिनके कारण फार्मासिस्टों से डॉक्टरों की अवैध लिखावट के कारण दवाओं को खरीद करना मुश्किल हो जाता है और कभी-कभी  गलत दवाइयाँ दे दी जाती है|

याचिकाकर्ता ने यह भी आग्रह किया है कि एमसीआई के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले डॉक्टरों को संबंधित प्राधिकरण द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना किया चाहिए।

पीठ ने केंद्र, राज्य और एमसीआई को 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और मामले को अगली सुनवाई के लिए 24 जून को होगी|

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