सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (2 जुलाई) को मुख्य सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति पर मुहर लगाते हुए इसे चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दोंनो की नियुक्ति सही है और हमे इनकी नियक्ति में कोई गड़बड़ी नजर नहीं आई।

याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें याचिका में कोई आधार नहीं मिला जिससे इन्हें रद्द किया जाए। एक एनजीओ ने सीवीसी के वी. चौधरी और वीसी टी एम भसीन की नियुक्ति को चुनौती दी थी और कहा था कि ये नियुक्ति गैरकानूनी है क्योंकि दोनों के खिलाफ संस्थानिक अखंडता के खिलाफ काम करने के आरोप है लेकिन नियुक्ति के समय इसकी उपेक्षा की गई और नियुक्ति के दौरान अपारदर्शी प्रक्रिया का पालन किया गया। 2013 में उनके खिलाफ आरोपों पर CVC ने जांच भी की थी।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि उसके सामने सवाल यह है कि इन पदों पर नियुक्त व्यक्ति बेदाग छवि के हैं या नहीं। पीठ ने कहा सवाल बेदाग छवि का है, राजनीतिक पक्षपात का नहीं, हम इस पहलू पर गौर करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल से पूछा था कि क्या प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और नेता प्रतिपक्ष वाली चयन समिति द्वारा किया गया फैसला सर्वसम्मति से किया गया. इस पर वेणुगोपाल ने हां कहा और नियुक्तियों को सही ठहराते हुए दलील दी कि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और लोकसभा में नेता विपक्ष की चयन समिति ने पूरी जिम्मेदारी से काम किया। अपने पास आए आवेदनों में से सबसे बेहतर अधिकारियों का चयन किया और इससे पहले उनके रिकॉर्ड की पुख्ता जांच की गई थी। के वी चौधरी को सीवीसी पद पर छह जून 2015 को जबकि भसीन को 11 जून 2015 को वीसी नियुक्त किया गया था।

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