प्रमोशन में आरक्षण को लेकर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ी राहत देते हुए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणी के कर्मचारियों को ‘कानून के अनुसार’ पदोन्नति में आरक्षण देने की मंगलवार (5 जून) को इजाजत दे दी।

सर्वोच अदालत ने केंद्र की इन तमाम दलीलों पर गौर किया जिसमें कहा गया था कि अलग-अलग हाईकोर्ट के आदेशों और शीर्ष सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2015 में इसी तरह के एक मामले में ‘यथास्थिति बरकरार’ रखने का आदेश दिए जाने से की वजह से पदोन्नति की पूरी प्रक्रिया रुक गई है।

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि केंद्र के कानून के अनुसार पदोन्नति देने पर ‘रोक’ नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि जब तक संविधान पीठ इस पर अंतिम फैसला नहीं ले लेती तब तक सरकार प्रमोशन में आरक्षण को लागू कर सकती है।

केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कमर्चारियों को प्रमोशन देना सरकार की जिम्मेदारी है। सिंह ने कहा कि अलग अलग हाईकोर्ट के फैसलों के चलते ये प्रमोशन रुक गई है। उन्होंने इसी तरह के मामले में न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा 17 मई को दिये गए आदेश का उल्लेख भी किया जिसमें कहा गया कि उसके समक्ष लंबित याचिका पदोन्नति की दिशा में केंद्र की ओर से उठाए जाने वाले कदमों की राह में आड़े नहीं आनी चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि सरकार आखिरी फैसला आने से पहले तक कानून के मुताबिक एससी/ एसटी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण दे सकती है।

नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर विभिन्न हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण कार्मिक विभाग ने 30 सितंबर 2016 को एक आदेश निकालकर सभी तरह की पदोन्नति पर रोक लगा दी थी।

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