केरल के बहुचर्चित लव जिहाद मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इस मामले में लगातार राष्ट्रीय जांच सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) से जांच कराने की मांग उठ रही थी, जिसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इसे लेकर केरल सरकार ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए एनआईए से जांच कराने का विरोध किया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में एनआईए जांच कराने का आदेश दिया था।
गौरतलब है कि सर्वोच्च अदालत ने 16 अगस्त को एनआईए को निर्देशित किया था कि एक हिंदू महिला के इस्लाम कबूल कर केरल के मुस्लिम युवक से निकाह करने का मामला व्यापक रूप से ‘लव जिहाद’ का मामला तो नहीं है?
केरल सरकार ने इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा कि यह मामला एनआईए को सौंपने की जरुरत नहीं हैं। राज्य सरकार के मुताबिक, इस मामले में पुलिस ने सही तरीके से जांच कर ली है और उसे इस मामले में ऐसा कुछ नहीं मिला है जिसकी जांच की जिम्मेदारी एनआईए को सौंपी जाए।
यह मामला अखिला अशोकन नामक हिंदू लड़की के इस्लाम कबूलकर हदिया बनने और शफीन जहां नाम के मुसलमान लड़के से विवाह करने से जुड़ा है। लड़की के पिता ने केरल हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में आरोप लगाया था कि उसकी बेटी का जबरन और धोखे से धर्मांतरण कराया गया है।
जानकारी के मुताबिक लव जिहाद मामले से ही जुड़ी दो और याचिकाएं डाली गई हैं, जिसमें पीड़ित पक्ष का आरोप है कि उनकी लड़कियों को भी बहला-फुसला कर फंसाया गया है।
पहली याचिका केरल की है , जिसमें एक पिता का आरोप है कि उनकी बेटी निमाशा इस्लाम कबूल कर फातिमा बन गई हैं। उसने ईसाई धर्म के लड़के से शादी की है, जिसने भी इस्लाम कबूल लिया है। लड़के पर आरोप है कि वो आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़ा हुआ है।
दूसरी याचिका सुमाथी आर्या की ओर डाली गई है जो की महाराष्ट्र के लातूर की है। सुमाथी के परिजनों का आरोप है कि उसे जबरन इस्लाम कबूलने पर मजबूर किया गया है और निर्देश दिए गए कि वो आईएसएस या सिमी जैसे खतरनाक आतंकी संगठनों से जुड़ जाए।
ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि आज सुप्रीम कोर्ट लव जिहाद मामले में बड़ा फैसला कर सकती है।