सुप्रीम कोर्ट में आधार की अनिवार्यता पर सुनवाई चल रही है। बुधवार (21 मार्च) को अटॉर्नी जनरल  ने इस मसले पर UIDAI के सीईओ को कोर्ट में बुलाने का आग्रह किया था…जिसके बाद गुरुवार (22 मार्च) को UIDAI के सीईओ ने सुप्रीम कोर्ट में आधार पर पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दी।

देश में सरकारी योजनाओं और तमाम सेवाओं के लिए आधार की अनिवार्यता पर UIDAI के सीईओ अजय भूषण पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दी। प्रेजेंटेशन की शुरुआत में ही जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि क्या आधार में बायोमेट्रिक के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. इस पर UIDAI के सीईओ ने कहा कि और भी विकल्प हैं। उन्होंने ये भी कहा कि बायोमेट्रिक डाटा पूरी तरह सुरक्षित है इसके लिए किसी प्राइवेट एजेंसी की सेवा नहीं ली जाती है।

बायोमेट्रिक लेते ही एन्क्रिप्टेड हो जाता है और सुपर कंप्यूटर भी उसे डिकोड नहीं कर सकता है। उन्होंने ये भी कहा कि किसी एजेंसी को आधार की पुष्टि करते वक्त बायोमेट्रिक शेयर नहीं करते बल्कि UIDAI के पास अपने 8.7 लाख ऑपरेटर हैं जो एनरोलमेंट करते हैं।

आधार की अनिवार्यता को जरूरी बताते हुए UIDAI के CEO ने दलील दी कि आधार से पहले देश के नागरिकों के पास ऐसा कोई पहचान पत्र नहीं था जो पूरे देश में स्वीकार हो, वोटर आई कार्ड के साथ दिक्कत थी कि इसमें बच्चों को शामिल नहीं किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि राशन कार्ड के साथ दिक्कत ये थी कि इसमें आप की जगह कोई दूसरा इसका फायदा ले सकता था। उदाहरण के तौर पर अगर किसी के पास तमिलनाडु का राशन कार्ड है और वो दिल्ली में बैंक खाता खुलवाना चाहता है तो खाता नहीं खुलवा सकता था क्योंकि उसकी वास्तविक पहचान होना संभव नहीं था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इन समस्याओं के समाधान के लिए ही आधार कार्ड लाया गया क्योंकि ये राष्ट्रीय पहचान पत्र है। कोर्ट के बताया गया कि 2010 में पहला आधार कार्ड बना था। तब से अब तक लगभग 120 करोड़ लोगों को आधार कार्ड दिए जा चुके हैं।

UIDAI के CEO ने पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन देते हुए कहा कि आधार 12 डिजिट का नंबर है जिससे व्यक्ति की पहचान होती है। आधार कार्ड का जो नंबर किसी एक को मिल गया है वो किसी दूसरे को नहीं मिलता। व्यक्ति के मर जाने के बाद भी उसका आधार नंबर किसी दूसरे को अलॉट नहीं होता। उन्होंने बताया कि अगर किसी के पास ग्राम पंचायत का पत्र या आंगनबाड़ी का पत्र हो जो उनकी पहचान के बारे में बताता है उसके आधार पर भी आधार कार्ड बन सकता है। सीईओ ने कहा कि आधार को अत्यधिक सुरक्षित भी बनाया गया है। आधार कार्ड होल्डर  की अनुमति के बिना उसकी कोई भी जानकारी किसी अथॉरिटी  के साथ शेयर नहीं की जाएगी। केवल डिस्ट्रिक्ट जज के आदेश के बाद कुछ जानकारी शेयर की जा सकती है।

उन्होंने ये भी बताया कि आधार कार्ड बनाने के लिए बेहद सीमित जानकारी ली जाती है। मसलन 5 साल से ज़्यादा उम्र के  बच्चे के माता पिता के नाम नहीं पूछे जाते, एनरॉलमेंट प्रकिया में जाति, धर्म, आय का भी विवरण नहीं लिया जाता। मामले पर अब 27 मार्च को सुनवाई होगी।

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