देश की अदालतों में लंबित मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर सरकार तक कई बार चिंता जता चुकी है। इनके निपटारे को लेकर कदम उठाने की बात भी होती है लेकिन देश की अदालतों में जजों की कमी इस दिशा में सबसे बड़ी बाधा है। अदालतों में मामलों के प्रबंधन को लेकर दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में जजों की कमी पर देश के मुख्य न्यायाधीश ने चिंता जताई तो वहीं सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस कुरियन जोसेफ ने जजों की नियुक्तियां ना करने पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा।

इसी साल जनवरी में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारत के चीफ जस्टिस के खिलाफ असंतोष जताने वाले चार जजों में शामिल सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस कुरियन जोसेफ ने अब निशाने पर केंद्र सरकार को लिया है। दिल्ली में एक समारोह में जस्टिस कुरियन जोसेफ ने जजों की नियुक्ति में देरी पर निराशा जताई। उन्होंने कहा कि जजों की नियुक्ति में सरकार को  देरी नही करनी चाहिए, ये कतई उचित नहीं है। जस्टिस जोसेफ ने कहा कि जजों की नियुक्ति को लेकर कोलेजियम की ओर से सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए की गई सिफारिशों पर केंद्र सरकार दो हफ़्ते के भीतर विचार कर उनकी नियुक्ति कर देनी चाहिए और हाई कोर्ट के जजों की तीन महीने में नियुक्ति जानी चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने भी जजों की कमी पर चिंता जाहिर की। उन्होने कहा कि देश के लोगों का न्यायपालिका पर विश्वास है लेकिन देश में जनसंख्या के हिसाब से जजों की संख्या कम है। जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि बिहार, झारखण्ड और दूसरे राज्यों में जजों की संख्या में भारी कमी है। हालांकि वो अपनी शक्ति से ज्यादा काम करते हैं। CJI ने कहा कि जजों का दायित्व है कि वो नोटिस की तामील पर जोर दें। लाखों मुकदमें ऐसे हैं जिनमें अभी तक नोटिस की तामील ही नहीं हुई। साथ ही विवाद खत्म करने के लिए दूसरे विकल्पों को भी तलाशना चाहिए।

समारोह में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले जजों में शामिल जस्टिस मदन बी लोकुर ने लंबित मामलों पर कहा कि इसे जमीनी स्तर पर शुरू किये जाने की जरूरत है। न्यायपालिका में खाली जगहें भरने के लिए तय समय सीमा होनी चाहिए, टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से लंबित मामलों की संख्या में कमी की जा सकती है..

कार्यक्रम में जस्टिस लोकुर ने निचली अदालतों को लेकर संसाधनों के इस्तेमाल पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि क्या हमारा सिस्टम सिर्फ क्लास के लिए काम करता है मास के लिए नही? जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि अदालत को याचिकाकर्ता के साथ फ़्रेंडली होना चाहिए। कुछ अदालतें उसी हालात में बढ़िया काम कर रही हैं हमें उनको रोल मॉडल की तरफ अपनाना चाहिए।

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