देश की मशहूर कंपनी टाटा फिर विवादों में घिरती नजर आ रही है। दअरसल टाटा बनाम साइरस मिस्त्री (Tata vs Cyrus Mistry) की लड़ाई फिर अदालत पहुंच गई है।बोर्ड निदेशक पद से हटाने के फैसले पर साइरस मिस्त्री की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई।
जिसमें शीर्ष अदालत के 26 मार्च के फैसले पर फिर से विचार करने की गुहार लगाई गई है जिसमें अदालत ने टाटा समूह के पक्ष में फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर 9 मार्च को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 26 मार्च को टाटा संस के द्वारा 2016 में साइरस मिस्त्री को कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष और बोर्ड निदेशक के पद से हटाने के फैसले को सही ठहराया था। कोर्ट ने टाटा संस के फैसले को बरकरार रखने का फैसला दिया था।
तीन जजों की बेंच ने किया विचार
साइरस मिस्त्री की पुनर्विचार याचिका पर नियम के मुताबिक तीन जजों की बेंच ने विचार किया। सुप्रीम कोर्ट ने इन चेम्बर सुनवाई के बाद सोमवार को आदेश जारी करते हुए कहा की पुनर्विचार की मौखिक सुनवाई की मांग को स्वीकार कर लिया। दरअसल CJI एनवी रमण, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की तीन जजों की पीठ बहुमत के आधार पर मिस्त्री की ओर से दाखिल पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हुआ।
जहां CJI और जस्टिस बोपन्ना ने साइरस मिस्त्री की पुनर्विचार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दी।
वहीं तीसरे जज जस्टिस रामसुब्रमण्यम ने पुनर्विचार याचिका पर विचार करने पर असहमति जताते हुए कहा, कि इस मामले में दिए गए फैसले की समीक्षा करने के लिए कोई वैध आधार ही नहीं है। उन्होंने कहा की पुनर्विचार के लिए उठाए गए आधार पुनर्विचार के अंतर्गत नहीं आते हैं। इसलिए मौखिक सुनवाई की मांग वाली यह याचिका खारिज किए जाने के योग्य मानते हुए अपनी असहमति दी।
2012 में टाटा संस के चेयरमैन बने थे साइरस
कंपनी प्रबंधन की ओर से वर्ष 2012 में साइरस मिस्त्री को टाटा संस का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। जिसके ठीक 4 साल बाद उन्हें पद से हटा दिया गया। टाटा संस के बोर्ड ने उन्हें हटाने का फैसला लिया था।
इसके बाद नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने अपने आदेश में साइरस मिस्त्री को 100 बिलियन डॉलर के टाटा ग्रुप के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन पद पर दोबारा बहाल करने का आदेश दिया था। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और मार्च 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने टाटा ग्रुप के पक्ष में फैसला सुनाया। उसने साइरस मिस्त्री को कंपनी से बाहर निकाल जाने के टाटा संस के फैसले को सही ठहराया था।
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