केंद्र, बिहार सरकार और आनंद मोहन सिंह को SC ने भेजा नोटिस, IAS जी कृष्णैया की पत्नी की याचिका पर कोर्ट की कार्रवाई

गोपालगंज के डीएम जी कृष्णय्या की हुई थी सरेआम हत्या

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Anand Mohan
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Anand Mohan Singh:पिछले दिनों बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह की रिहाई हुई थी। उन्हें सहरसा जेल से तड़के सुबह ही रिहा किया गया था। वे गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया के हत्या मामले में सजा काट रहे थे। वहीं, आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ जी कृष्णैया की पत्नी उमा ने सुप्रीम कोर्ट का दरबाजा खटखटाया था। उनकी याचिका पर कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने बिहार सरकार,केंद्र सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2 हफ्ते में सभी पक्षकारों को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही बिहार सरकार से रिकॉर्ड भी देने को कहा है।

Anand Mohan Singh:आनंद मोहन सिंह और डीएम जी कृष्णय्या की पत्नी उमा देवी
Anand Mohan Singh:आनंद मोहन सिंह और डीएम जी कृष्णय्या की पत्नी उमा देवी

Anand Mohan Singh:नियम में बदलाव कर 26 कैदियों की हुई थी रिहाई

दरअसल, हत्या के मामले मे दोषी आनंद मोहन की रिहाई और बिहार सरकार के द्वारा जेल अधिनियम बदलने के खिलाफ जी कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल की है। बिहार की नीतीश सरकार ने नियम में बदलाव किया। जिसके आधार पर 26 कैदियों को रिहा किया गया। उसमे आनंद मोहन को भी नियम के तहत नाम आने के बाद रिहा किया गया था। बिहार सरकार के इस कदम पर आईएएस एसोसिएशन ने अपनी चिंता भी व्यक्त की है और बिहार सरकार को अपने फैसले पर एक बार फिर से विचार करने की अपील की है।

गोपालगंज के डीएम जी कृष्णय्या की हुई थी सरेआम हत्या

गौरतलब है कि वर्ष 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णय्या की कथित रूप से आनंद मोहन सिंह द्वारा उकसाई गई भीड़ ने हत्या कर दी थी। गैंगस्टर से राजनेता बने आनंद मोहन सिंह को साल 2007 में बिहार की एक निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, पटना उच्च न्यायालय ने इसे आजीवन कारावास में बदल दिया था; उस आदेश को 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था।

इस महीने की शुरुआत में, बिहार सरकार ने उस धारा को जेल नियमों से हटा दिया था, जिसमें ड्यूटी पर एक लोक सेवक की हत्या के दोषी लोगों के लिए जेल की सजा में छूट पर रोक लगाई गई थी।

अपनी अधिसूचना में, राज्य के कानून विभाग ने कहा कि नए नियम उन कैदियों के लिए हैं, जिन्होंने 14 साल की वास्तविक सजा या 20 साल की सजा काट ली है।

अधिसूचना में कहा गया है, “14 साल की वास्तविक सजा या 20 साल की सजा काट चुके कैदियों की रिहाई के लिए निर्णय लिया गया।”

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