इलाहाबाद हाईकोर्ट ने IIT कानपुर के 16 छात्रों को रैगिंग के आरोप में दंडित करने के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि संस्थान के सीनेट ने बिना दोष सिद्ध किये कुछ को 6 साल और कुछ को एक साल के लिए निलंबित कर दिया। सीनेट ने निलंबन तक कालेज परिसर में रहने पर भी रोक लगा दी थी। कोर्ट ने सीनेट को नये सिरे से कानून का पालन करते हुए संस्तुति करने की छूट दी है। कोर्ट ने कहा है कि याची छात्रों को परीक्षा देने और परिसर में निवास करने का अधिकार है लेकिन ये प्रतिबंध रहेगा कि वो नए छात्रों से ना तो मिलेंगे और न ही उनसे बातचीत करेंगे। ये आदेश जस्टिस मनोज मिश्र ने अभिनव कुमार और अन्य छात्रों की याचिका पर दिया है।

अगस्त 2017 में 22 छात्रों पर नए छात्रों की रैगिंग करने के आरोप के चलते कार्रवाई की गई थी। सीनेट स्टूडेंट अफेयर कमेटी के अध्यक्ष ने रिपोर्ट पेश की और छत्रों को निलंबित करने और हॉस्टल में ठहरने पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की। 9 अक्टूबर 17 के प्रस्ताव को रैगिंग विरोधी कमेटी को भेजा गया। जिसका अनुमोदन कर कार्रवाई के लिए भेजा गया। जिस पर रैगिंग विरोधी कमेटी की और 16 छात्रों को दंडित किया गया। सारी कार्रवाई नये छात्रों की शिकायत पर की गयी उनके बयान दर्ज किये गए लेकिन ये बयान नियमित जांच में नहीं लिए गए। छात्रों को आरोपो में दोषी ठहराए बगैर दंडित कर दिया गया। इसी के बाद छात्रों ने अदालत का रुख किया। जस्टिस सुनीता अग्रवाल ने आरोपी छात्रों का भविष्य बचाने के लिए दूसरे स्थान पर परीक्षा में बैठाने की व्यवस्था करने का आदेश दिया था लेकिन संस्थान ने इसे नहीं माना था। अब कोर्ट ने छात्रों को दी गई सजा को नैसर्गिक न्याय के विपरीत करार देते हुए रद्द कर दिया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here