तकरीबन 164 साल से चला आ रहा राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार से देश के सबसे विवादित मुकदमे की सुनवाई देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में शुरु हुई। देश की सर्वोच अदालत इस मामले पर सात साल बाद फिर से सुनवाई कर रही है। इस मामले की सुनवाई तीन सदस्यीय बेंच कर रही है, इसमें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर शामिल हैं। कोर्ट में अब मामले पर अगली सुनवाई 8 फरवरी 2018 को होगी। अदालत में सुनवाई को दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कहा की 5 या 7 जजों की बेंच इस मामले में सुनवाई करे और यह सुनवाई 2019 लोकसभा चुनाव के बाद हो। इस मामले को लेकर देश की सर्वोच अदालत में कुल 13 याचिकाएं दाखिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में यह साफ कहा था कि मामला बेहद गंभीर है और पहले इसमें यह तय किया जाएगा कि विवादित ज़मीन पर हक किसका बनता है।

7 साल पहले हाईकोर्ट ने सुनाया था फैसला

30 दिसंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामलें में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, इस फैसले में विवादित क्षेत्र की दो तिहाई जमीन हिन्दुओं को और एक तिहाई जमीन मुस्लिम समुदाय के लोगों को देने का निर्णय लिया गया था। लेकिन ये फैसला दोनों ही समुदाय के लोगों को नामंजूर था और फैसले के खिलाफ सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और कई याचिकाएं दाखिल की गईं।

7 साल के लंबे अंतराल के बाद इस साल 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहली सुनवाई की और मामले के सभी पक्षकारों को अपने-अपने दस्तावेज़ों को जो कि अलग-अलग भाषाओं में हैं उनका अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए 12 हफ्ते का वक्त दिया था। बता दें कि इस मामलें में 9,000 पन्नों के दस्तावेज और संस्कृत, पाली, फारसी, उर्दू और अरबी समेत करीब 7 भाषाओं में 90,000 पन्नों की गवाहियां दर्ज हैं

संगम के किनारे साधुओं की पूजा जारी

इस फैसले को लेकर सभी की सांसे अटकी हुई हैं दोनों पक्ष अपने हक में फैसला चाहते हैं। इस मामले का फैसला अपने पक्ष में पाने के लिए हिन्दू समुदाय के लोग इलाहाबाद में पूजा-अर्चना करने में जुट चुके हैं। यह पूजा सुनवाई चलने तक जारी रहेगी।

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में अब तक क्या-क्या हुआ

सन 1528:

कहा जाता है कि मुगल बादशाह बाबर ने यहां मस्जिद बनवाई थी लेकिन हिन्दू इसे भगवान राम की जन्मभूमि बताते हैं और दावा करते हैं कि मंदिर तोड़कर यहां मस्जिद बनाई गई।

सन 1853:

अब पहली बार इस मामले  ने तूल पकड़ा और यहां की ज़मीन पर हक को लेकर साम्प्रदायिक हिंसा हुई।

सन 1949:

इस साल अचानक मस्जिद वाले हिस्से के अंदर भगवान राम की मूर्ति मिली और विवाद फिर शुरु हो गया। मुसलमानों ने आरोप लगाया कि हिन्दुओं की ओर से यह मूर्ती रखी गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने इसे विवादित इलाका घोषित कर दिया और इसके गेट बंद करवा दिए। इसके बाद मामले जे जुड़े पक्षों ने अदालत का रुख किया।

सन 1986:

जिला जज ने आदेश दिया कि विवादित परिसर का ताला खोल दिया जाए और हिन्दुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी गई।

6 दिसंबर 1992:

कार सेवकों की उन्मादी भीड़ उमड़ी और देखते ही देखते बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया। पूरे देश में दंगे हुए और इस हिंसा में दो हजार से ज़्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई।

30 सितंबर, 2010:

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला देते हुए  विवादित परिसर को तीन हिस्सों, जिसमें दो तिहाई हिस्सा हिन्दू पक्षकारों को और एक तिहाई हिस्सा वक्फ बोर्ड को सौंपने का फैसला सुनाया।

सन 2011:

सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के दिए गए फैसले पर रोक लगा दी और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।

सन 2017:

तत्कालीन चीफ जस्टिस जे.एस. खेहर ने इस मामले की कोर्ट के बाहर समाधान की वकालत की और कहा कि वो इसके लिए मध्यस्थता करने के लिए भी तैयार हैं।

19 अप्रैल 2017:

सुप्रमीम कोर्ट ने लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और RSS के कई और नेताओं पर  आपराधिक साजिश का केस चलाने का आदेश दिया।

16 नवंबर 2017:

आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने अपने स्तर पर इस विवाद को सुलझाने के लिए पहल की और उन्होंने कई पक्षों से बातचीत की

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