आधार की अनिवार्यता और वैधता को लेकर चल रही सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट लगातार डेटा प्रोटेक्शन को लेकर सरकार से सवाल पूछ रहा है। बुधवार (18 अप्रैल) की सुनवाई में UIDAI ने माना कि शत प्रतिशत कोई भी चीज बिना किसी कमी के नहीं हो सकती लिहाजा आधार कानून का परीक्षण भी अभी की परिस्थितियों के आधार पर होना चाहिए और भविष्य में चाहे तो कोर्ट इस कानून की समीक्षा कर सकता है और अगर कोर्ट को कानून में कुछ खामी नजर आती है तो कोर्ट कुछ मापदंड तय कर सकता है।

आधार कार्ड की वैधता पर सुनवाई के दौरान आज UIDAI की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि ये आरोप गलत है कि आधार कार्ड न होने की वजह से लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। खुद आधार एक्ट की धारा 7 में कहा गया है कि आधार कार्ड न होने की वजह से किसी को सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं से वंचित नहीं रखा जा सकता। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आधार कार्ड बनाया ही ना जाये। आधार देश भर में स्वीकार्य पहचान पत्र है, किसी भी राज्य का निवासी, दूसरे राज्य में बतौर पहचान पत्र इसे इस्तेमाल कर सकता है अगर कोर्ट को कानून में कुछ खामी नजर आती है, तो कोर्ट कुछ मापदंड बना सकता है, लेकिन याचिकाकर्ता के आरोपों के चलते आधार कानून को खारिज नहीं किया जा सकता।

इस पर संविधान पीठ ने सवाल किया कि जब आधार के जरिये ट्रांसजैक्शन होता है तो हर बार एक मेटा डेटा क्रिएट हो जाता है, अगर इसको एक जगह इकट्टा कर लीजिए तो एक व्यक्ति की पूरी जानकारी एक साथ हासिल की जा सकती है, जिससे उसका सर्विलांस और जानकारी का गलत इस्तेमाल हो सकता है? कोर्ट ने कहा कि UIDAI के पास बॉयोमेट्रिक रिकॉर्ड होते हैं। माना कि आप किसी दूसरे को ये नहीं देते लेकिन क्या डेटा सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपाय हैं? इस पर UIDAI ने कहा कि आप बहुत ज़्यादा कल्पनाशील होकर एक साधारण एक्ट को परख रहे हैं। शत प्रतिशत कोई भी चीज खामी रहित नहीं है, इस कानून का परीक्षण भी वाजिब आधार पर होना चाहिये। कोर्ट ने जब फिर कहा कि हम सिर्फ सेफ गार्ड की बात कर रहे हैं तो इस पर राकेश द्विवेदी ने कहा कि भविष्य में भी कोर्ट इस कानून की समीक्षा कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here