1984 के सिख विरोधी दंगों में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित सुपरवाइज़री पैनल ने एसआईटी के बंद किए गए 241 मामलों की रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट 11 दिसंबर को तय करेगा कि ये मामले फिर से खोले जाएं या नहीं? कोर्ट ने कहा कि अगर रिपोर्ट में कुछ होगा तो कार्रवाई के आदेश देंगे। कोर्ट ने 11 दिसंबर को दोनों पक्षो को उपस्थित रहने का निर्देश दिया है ताकि मामले में पक्ष कोर्ट की सहायता कर सकें। एसआईटी की क्लोज़र रिपोर्ट को पीड़ितों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी की छंटनी के बाद बंद किए गए केसों की छानबीन के लिए 1 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के दो रिटायर जजों के सुपरवाइजरी पैनल का गठन किया था। पैनल में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस जेएम पांचाल और जस्टिस केएस राधाकृष्णन हैं। पैनल को रिकार्ड देखने के बाद यह तय करना था कि केस बंद करने का फैसला सही है या नहीं और इन केसों की दोबारा जांच शुरू की जाए या नहीं। पैनल को शुरुआत में ही बंद किए गए 199 केसों के अलावा 42 अन्य मामलों की फाइलों को भी देखना था। 1984 की सिख विरोधी हिंसा के मामले की कोर्ट की निगरानी में जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 16 अगस्त को सुनवाई हुई थी। पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 199 फाइलें कोर्ट में दाखिल की थीं। अदालत ने केंद्र से कहा था कि इन फाइलों की फोटोकॉपी सील बंद लिफाफे में कोर्ट में जमा की जाए।

कानपुर में भी हुए थे सिख विरोधी दंगे

उधर कानपुर में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के मामलों की जांच एसआइटी से करवाए जाने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने जवाब के लिए दो हफ्ते का समय मांगा है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई भी 11 दिसंबर को करेगा। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में मांग की गयी है कि दंगों के मामलों की जांच एसआइटी से करवाई जाए क्योंकि कानपुर में दंगों में 127 लोगों की मौत हुई थी और ज्यादातर मामले सबूत के अभाव में बंद किये जा चुके हैं। याचिका में मुआवजे की भी बात की गई है। याचिका में कहा गया है कि पूरे उत्तर प्रदेश में 1984 के सिख विरोध दंगों की कुल 2800 FIR दर्ज करवाई गई थीं लेकिन ज्यादातर मामले सबूतों के अभाव में बंद कर दिये गये। यह याचिका दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके और अखिल भारतीय दंगा पीडित राहत कमेटी के अध्यक्ष जत्थेदार कुलदीप सिंह भोगल ने दाखिल की है।

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