वामपंथियों को रास नहीं आता है ये नाटक! पढ़ें सार्त्र के ‘मैले हाथ’ की समीक्षा…

0
22

कम्युनिस्ट नेताओं पर सबसे बड़ा इल्जाम ये लगता है कि वे विचारधारा में इतने डूबे रहते हैं कि उनको जमीनी हकीकत का मालूम नहीं चलता। यहां तक कि वे राजनीति में हिंसा के इस्तेमाल को भी गलत नहीं मानते हैं। उनके यहां पार्टी के भीतर भी विरोधी सुरों को दबा दिया जाता है। ‘दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ’ का नारा अपने ही राष्ट्रीय हितों को नजरअंदाज करवा देता है और नेता महज कठपुतली बनकर विदेश से संचालित होते हैं। इन्हीं सब आरोपों को एक नाटक की शक्ल दी थी सार्त्र ने।

”एक लेखक को खुद को एक संस्थान में तब्दील किए जाने की इजाजत नहीं देनी चाहिए।” 20वीं सदी के नामचीन फ्रेंच दार्शनिक जेपी सार्त्र ने साहित्य का नोबेल पुरस्कार ठुकराते हुए यह बात कही थी। सार्त्र ने कई नाटक भी लिखे थे। जिनमें से एक है, les mains sales. इसका ही हिंदी अनुवाद है ‘मैले हाथ’। मैले हाथ एक पॉलिटिकल ड्रामा है। जो लंबे समय तक कम्युनिस्टों की आलोचना का शिकार रहा है।

इस नाटक का मंचन सबसे पहले साल 1948 में पैरिस में किया गया था। यह नाटक इलीरिया नाम के एक काल्पनिक देश के एक राजनेता की हत्या के बारे में है। नाटक में जेल से छूटा नायक बताता है कि कैसे उसने एक राजनीतिक कत्ल को अंजाम दिया। नाटक पड़ताल करता है कि किन कारणों से नायक हत्या को अंजाम देता है। इस नाटक की पृष्ठभूमि द्वितीय विश्वयुद्ध की है।

कम्युनिस्ट नेताओं की आलोचना करने वाले इस नाटक में अधिकतर पात्र एक सर्वहारा पार्टी या कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य हैं। नाटक में पार्टी का नेता होएडरर देश की अन्य पार्टियों के साथ मिलकर काम करना चाहता है। दरअसल वह राजनीति की हकीकत को समझने वाला राजनेता है। इस बात पर पार्टी के भीतर विरोध उठता है और होएडरर की हत्या की योजना बनाई जाती है।

ह्यूगो इस नाटक का नायक है। जो एक संपन्न परिवार का लड़का है। वह एक बुद्धिजीवी है जो अपने विचारों के चलते पार्टी से जुड़ा है। ह्यूगो के भीतर खुद को साबित करने की एक गहरी लालसा है। जिसके लिए वह होएडरर को मारने का काम भी अपने हाथ ले लेता है। ह्यूगो होएडरर के पास उसके सेक्रेटरी के रूप में जाता है। बाद में होएडरर को पता चल जाता है कि ह्यूगो को उसको मारने का काम सौंपा गया है। वह ह्यूगो को उसके भीतर चल रहे द्वंद्व को समझने में मदद करता है।

होएडरर की सोच है कि देश की सभी पार्टियां जर्मनी के खिलाफ एकजुट हों। वह चाहता है कि उसकी पार्टी युद्ध के बाद एक गठबंधन सरकार का हिस्सा बने। वह ह्यूगो को अपनी रणनीति समझाता है कि आखिर में कैसे कम्युनिस्ट पार्टी देश की सत्ता पर काबिज होगी। वह ह्यूगो को राजनीति की हकीकत बताता है कि फिलहाल कम्युनिस्ट पार्टी के पास जन समर्थन नहीं है। सोवियत रूस की सेना को भी उनकी देश की जनता बाहरी ही समझेगी और एक समय बाद पसंद नहीं करेगी । हालांकि ह्यूगो को लगता है कि अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन सही नहीं है। ह्यूगो होएडरर से सहमत नहीं है लेकिन वह अपने भीतरी द्वंद्व से निपटने के लिए उसकी मदद लेना चाहता है।

हालांकि एक रोज जब ह्यूगो होएडरर को उसकी पत्नी जेसिका को किस करते देखता है तो उस पर गोली चला देता है। बाद में ह्यूगो ओल्गा को बताता है कि उसने जेसिका के चलते होएडरर को नहीं मारा। ह्यूगो को मालूम चलता है कि जिस चीज के चलते पार्टी नेताओं ने होएडरर को मारने का फैसला किया था। उस प्रस्ताव को अब पार्टी रूस के आदेश पर मान चुकी है। होएडरर को अब एक महान नेता के तौर पर पार्टी याद करती है। चूंकि होएडरर दूरदर्शी था इसलिए उसे मरना पड़ा।

ह्यूगो को होएडरर की हत्या अर्थहीन लगती है और उसे पार्टी पर गुस्सा आता है। उसे पार्टी और उसकी नीतियां फिजूल लगने लगती हैं। ह्यूगो आखिर में मरने का फैसला करता है। नाटक के अंत में ह्यूगो चिल्लाता है कि उसने अब तक होएडरर को नहीं मारा है , वह उसे अब मार देगा और बाद में खुद को मारेगा।

किताब के बारे में

नाटककार- जां पॉल सार्त्र
अनुवाद- मनोज कश्यप भालेन्दु
प्रकाशक- राजकमल प्रकाशन
पेज संख्या-159
मूल्य- 495(हार्डकवर)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here