राजनीति के इतिहास में ऐतिहासिक जीत दर्ज कराने वाली बीजेपी सरकार ने सस्पेंस से पर्दा उठा दिया और आखिरकार यूपी की राजगद्दी को उसका राजा मिल ही गया। रविवार दोपहर 2:20 पर योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। यानि यूपी की सत्ता अब एक सन्यांसी के हाथों में है।
यूपी विधानसभा चुनावों को लेकर सियासत में जितनी गर्माहट थी, उससे कहीं ज्यादा यूपी का सीएम कौन होगा, इस सवाल को लेकर कयासों का बाजार गर्म था। सीएम की लगी इस रेस में एक नहीं बल्कि कई योद्धाओं की दावेदारी थी। मनोज सिन्हा से लेकर राजनाथ सिंह तक पर कयासों की सूई घूमती रही। मगर पिक्चर के हीरो बने महंत योगी आदित्यनाथ।
यूपी को मिले दो उप-मुख्यमंत्री-
ऐतिहासिक जीत के साथ साथ यूपी में दो उपमुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी सरकार ने एक और इतिहास रच दिया। लेकिन सवाल यहां यह है कि आखिर यूपी को दो उप-मुख्यमंत्रियों की जरुरत क्यों पड़ी? क्या कारण महज यह था कि योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि उन्हें सहायक के तौर पर दो डिप्टी सीएम चाहिए या फिर इसके पीछे कोई सियासी समीकरण था?
क्या है सियासी समीकरण?
यूपी को केशव प्रसाद मौर्या और दिनेश शर्मा, उप-मुख्यमंत्री के तौर पर मिले। लेकिन दो उप-मुख्यमंत्री बनाने के पीछे भी राजनीतिक चाल है। केशव प्रसाद मौर्या ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखते हैं वहीं दिनेश शर्मा ब्राह्मण समाज से आते हैं। लिहाजा दोनों वर्ग के नेताओं के जरिए पार्टी ओबीसी और ब्राह्मण वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है। कुल मिलाकर कहा जाए तो दो डिप्टी सीएम के चयन के पीछे जातिगत राजनैतिक समीकरण है।
महंत से मुख्यमंत्री बने योगी-
गौरतलब है कि जब योगी आदित्यनाथ शपथ ग्रहण कर रहे थे तो मंच पर पीएम मोदी जी और अमित शाह के साथ साथ मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, लाल कृष्ण आडवाणी, शिवराज सिंह चौहान, नितिन गडकरी, उमा भारती, रविशंकर प्रसाद समेत कई दिग्गज मौजूद थे। शपथ ग्रहण समारोह को लखनऊ के स्मृति उपवन में आयोजित किया गया है। योगी यूपी के 21वें सीएम बने हैं। योगी जी का असली नाम अजयमोहन सिंह बिष्ट है और वह राजपूत खानदान से ताल्लुक रखते हैं। योगी जी गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं। योगी जी गोरखपुर से पांच बार सांसद रह चुके हैं। 1998 में पहली बार योगी आदित्यनाथ सांसद बने थे। हालांकि 2017 के चुनाव में योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री पद के लिए मोदीजी की पहली पसंद नहीं थे मगर फिर भी रेस की बाजी अंत में योगी आदित्यनाथ ही मार गए।
मुख्यमंत्री की सेना में कौन हुए शामिल?
उल्लेखनीय है कि सीएम की सेना में 2 डिप्टी सीएम, 22 कैबिनेट मंत्री, 9 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 13 राज्यमंत्री शामिल हुए। रविवार दोपहर 3:42 पर शपथ ग्रहण की समाप्ति हुई।
बीजेपी को 14 साल बाद एक बार फिर से यूपी की सत्ता हासिल हुई है और उम्मीद है कि जिन मंशाओं के साथ जनता ने बीजेपी को चुना है, बीजेपी उन पर खरा उतरेगी। शपथ ग्रहण समारोह की समाप्ति के बाद नए सीएम की मौजूदगी में कैबिनेट मंत्रियों की पहली बैठक होगी। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने अपनी रैलियों में वादा किया था कि पहली कैबिनेट मीटिंग में ही किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा और अब देखना दिलचस्प होगा कि मोदी के नए सीएम योगी इस फैसले को पारित करेंगे या नहीं?