उत्‍तर प्रदेश की योगी आदित्‍यनाथ सरकार 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़ें नौ मामले को वापस लेने के बारे में सोच रही है। इस केस को वापस लेने पर कानून के शिकंजे में आए बीजेपी नेताओं को राहत मिलेगा। इस बाबत उत्तर प्रदेश सरकार ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगा मामले में भाजपा नेताओं के खिलाफ लंबित नौ आपराधिक मामलों को वापस लेने की संभावना पर सूचना मांगी है। यह जानकारी राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा जिलाधिकारी को लिखे गए पत्र में मिली है। मामले की वर्तमान स्थिति पर जिलाधिकारी से राय मांगी गई है और पूछा गया है कि क्‍या केस वापस लेना लोक हित में सही कदम होगा।

यह मामला 31 अगस्‍त, 2013 को दर्ज किया गया था। सरकार के पत्र में किसी नेता का नाम का जिक्र नहीं है, मामले का सीरियल नंबर दिया गया है। वैसे इस केस में योगी सरकार के मंत्री सुरेश राणा, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्यान, सांसद भारतेंदु सिंह, विधायक उमेश मलिक और पार्टी नेता साध्वी प्राची के खिलाफ मामले दर्ज हैं। जिलाधिकारी को पांच जनवरी को लिखे पत्र में उत्तर प्रदेश के न्याय विभाग में विशेष सचिव राज सिंह ने 13 बिंदुओं पर जवाब मांगा है। जिनमें जनहित में मामलों को वापस लिया जाना भी शामिल है।

बता दें कि  7 सितंबर, 2013 को जनपद में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में पांच सौ से ज्यादा मुकदमे दर्ज कराए गए थे। फर्जी नामजदगी पर भी जमकर बवाल हुआ। सांसद संजीव बालियान समेत कई माननीय व नेताओं के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज किए गए थे। हिंसा से संबंधित मुकदमों की जांच के लिए शासन ने एसआइटी गठित की तो बड़े पैमाने पर फर्जी नामजदगी का पर्दाफाश हुआ। बाद में हिंसा से संबंधित मुकदमों में आरोपी बनाए गए लोगों को जेल भेज दिया गया था। अब शासन ने पुलिस की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमों को खत्म करने के लिए जिला प्रशासन से आख्या मांगी है।

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