उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार अखिलेश सरकार की योजनाओं पर शिकंजा कसे हुए हैं। सीएम योगी अब अखिलेश की एक और योजना पर कैंची चलाने की तैयारी में है। योगी सरकार समाज कल्याण विभाग की सभी योजनाओं से अल्पसंख्यकों को दिया जाने वाला 20 फीसदी कोटे को खत्म कर रही है।
कोटा खत्म करने के लिए सीएम योगी जल्द ही प्रस्ताव ला सकते हैं। बताया जा रहा है कि सरकार ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। मौजूदा समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने इस कोटे को खत्म करने की सहमति दे दी है। उन्होंने कहा, ‘योजनाओं में कोटा देना उचित नहीं है। हम इसे समाप्त करने के पक्षधर हैं। योजनाओं से बिना भेदभाव के सभी का विकास होना चाहिए।’
इस प्रस्ताव को कैबिनेट में लाया जाएगा, जहां इसे स्वीकृति मिलने के पूरे आसार हैं। दरअसल, नई सरकार के गठन के साथ ही अल्पसंख्यकों को दिए जा रहे इस कोटे को खत्म किए जाने की बात शुरू हो गई थी। इसके संकेत लक्ष्मी नारायण चौधरी ने दिए थे।
2012 में समाजवादी की सरकार बनते ही अल्पसंख्यकों को 20 प्रतिशत कोटे को मंजूरी दी थी। इसके लिए विशेष गाइडलाइन भी जारी की गई थी। अखिलेश सरकार ने यह फैसला नैशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्टों के बाद लिया था। सर्वे की रिपोर्ट में धार्मिक समूहों में रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति को आधार बनाया गया था।
रिपोर्ट में कहा गया था कि मुसलमानों का औसत प्रति व्यक्ति खर्च रोजाना सिर्फ 32.66 रुपये है। ग्रामीण क्षेत्रों में मुसलमान परिवारों का औसत मासिक खर्च 833 रुपये, जबकि हिंदुओं का 888, ईसाइयों का 1296 और सिखों का 1498 रुपये बताया गया था। शहरी इलाकों में मुसलमानों का प्रति परिवार खर्च 1272 रुपये था जबकि हिंदुओं का 1797, ईसाइयों का 2053 और सिखों का 2180 रुपये था।