योगी सरकार के लगभग 6 महीने से ऊपर हो गए हैं। ऐसे में यूपी की कानून व्यवस्था के साथ साथ कई क्षेत्रों में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। नेताओं द्वारा लगातार अधिकारियों पर आरोप लगाए जाने लगे कि अधिकारी उनकी बातों को गंभीरतापूर्वक नहीं लेते। ऐसे में अब योगी सरकार का नया फरमान आया है। यूपी के मुख्य सचिव राजीव कुमार ने जनप्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल के अनुपालन के लिए निर्देश जारी किए हैं। इस निर्देश में कहा गया है कि यदि सांसद या विधायक मिलने आते हैं तो अधिकारी खड़े होकर उनका स्वागत करें। साथ ही उनकी बातों को गंभीरतापूर्वक सुनें और उसे अमल में लाएं।

मुख्य सचिव ने कहा है कि शासन के संज्ञान में आया है कि लगातार दिशा-निर्देश जारी होने के बावजूद सांसदों और विधानमंडल के सदस्यों के प्रति सामान्य शिष्टाचार, प्रोटोकॉल का पालन समुचित रूप से नहीं किया जा रहा है। ऐसे में अब ऐसा नहीं होगा। योगी सरकार ने कहा है कि अधिकारियों को विधायकों और सांसदों की बातों को गौर से सुनना चाहिए। जब वे किसी समारोह में आएं तो उनका उठकर अभिनंदन करना चाहिए। साथ ही जब वो समारोह से प्रस्थान करें तो उनको आदरपूर्वक विदा करना चाहिए।

बता दें कि ऐसे कुछ महीनों से ऐसे कई केस देखें गए जिसमें सरकार के नेताओं और अधिकारियों के बीच तनातनी देखी गई। ओम प्रकाश राजभर का डीएम को लेकर विवाद भी काफी प्रचलित हुआ था। ऐसे में देखना ये होगा कि कहीं इस फरमान के बाद नौकरशाहों की स्वतंत्रता और उनके काम में तो किसी भी प्रकार की गतिरोधकत पैदा नहीं होगी। कहीं योगी सरकार ने अपने फरमान में परोक्ष रूप से वीआईपी कल्चर को तो जन्म नहीं दे दिया है? ऐसे कई प्रश्न जमीनी हकीकत पर खड़े होगें। साथ ही अधिकारियों को भी अपने मान-सम्मान का भय भी रहेगा। कई बार उनको आपराधिक मामले में लिप्त नेता के आगे भी झुकना पड़ जाता है। कई बार कोई अधिकारी किसी नेता का पैर छू लेता है तो उसे भी दंडित होना पड़ता है। ऐसे में सम्मान देने का मापदंड क्या है। योगी सरकार को इन सब बातों का भी ध्यान देना होगा।

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