आखिरकार लंबी जद्दोजहद के व सियासी उठापटक के बाद महज 38 सीटें हासिल करने वाले जेडीएस नेता एचडी कुमारस्‍वामी ने कांग्रेस के समर्थ से नए मुख्यमंत्री की शपथ ली। कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई । वहीं कांग्रेस के जी. परमेश्वर ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस समारोह में यह साफ देखा जा सकता है विपक्ष के नेताओं में बीजेपी का डर कितना व्याप्त है।  कुमारस्‍वामी के शपथ ग्रहण समारोह ने ना सिर्फ राज्य की सियासत में एक नया अध्याय शुरू किया, बल्कि इस शपथ मंच ने वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में मोदी विरोधी मोर्चे की एक स्‍पष्‍ट तस्वीर भी पेश की।

कर्नाटक के इस शपथ मंच पर देश के तमाम विपक्षी दलों का जमावड़ा दिखा और वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की गई। मंच पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री और एचडी कुमारस्वामी के पिता एचडी देवेगौड़ा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बसपा प्रमुख मायवती और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी नजर आए।  इनके अलावा बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख अजित सिंह, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी मंच पर दिखे।

उल्लेखनीय है कि 19 मई को विश्वास मत हासिल करने से पहले ही बीजेपी नेता बी.एस. येदियुरप्‍पा ने मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा दे दिया था। इसके बाद राज्‍यपाल ने कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। पहले 21 मई को शपथ ग्रहण का प्रस्‍ताव था, लेकिन राजीव गांधी की पुण्‍यतिथि के कारण उसे बदलकर 23 मई किया गया था।

इस समारोह की खास बात ये रही कि कर्नाटक की सत्ता संघर्ष के बीच बीजेपी ने कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह का बायकॉट का फैसला किया। येदियुरप्पा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सत्ता की भूख और लालच के आधार पर बनाई गई कांग्रेस-जेडीएस की सरकार 3 महीने से ज्यादा नहीं चलेगी। वैसे भी पिछले दिनों तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव कांग्रेस से इतर एक थर्ड फ्रंट बनाने का संकेत दे चुके हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या ऐसे में क्या 2019 तक यह विपक्षी एकता कायम रहेगी …. कुमारस्वामी का पुराना इतिहास भी कुछ यही कहता है कि वो अपना काम निकलने तक ही साझेदारी को अहमियत देते हैं।

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