सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय की गर्भवती एलएलबी  की छात्रा की याचिका को खारिज कर दिया है। बुधवार (23 मई) को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने छात्रा से कहा कि हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच के सामने मामला लंबित है लिहाजा आप वहीं जाए।

केस की सुनवाई के दौरीन जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस नवीन सिन्हा की बेंच ने कहा कि हम बहुत ही असहज महसूस कर रहे हैं कि हम 1 बजे आर्डर दें और दो बजे छात्रा जाकर परीक्षा में भाग लें। छात्रा को गर्भावस्था के कारण कक्षाओं से अनुपस्थित रहने के चलते डीयू ने परीक्षा में बैठने की अनुमति नही दी थी। मीणा गर्भवती होने के चलते दो महीने कॉलेज में कक्षा अटेंड नहीं कर पाई थीं। कम उपस्थिति के चलते कॉलेज की तरफ से उन्हें चौथे सेमेस्टर की परीक्षा में बैठने की इजाजत नहीं दी गई थी। इसके बाद मीणा ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने भी कोई राहत नहीं दी थी जिसके बाद मीणा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में आखिरी फैसला दे दिया है।

मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि एलएलबी विषय के चौथे सेमेस्टर की रोजाना कक्षाओं में उपस्थित होने के लिए छात्रा के पास उचित कारण है, इसके बावजूद बार काउंसिल ऑफ इंडिया के कानूनी शिक्षा नियमों से संबंधित प्रावधानों और हाईकोर्ट के पूर्व के फैसलों को देखते हुए उसे राहत नहीं दी जा सकती। मामले की सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय के वकील ने भी याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि एलएलबी डिग्री पाठ्यक्रम एक पेशेवर विषय है और उसमें नियमित उपस्थिति जरूरी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here