अभी तक आम आदमी कहता था कि भैया! ये कैसी कर प्रणाली है, हमारे समझ के बाहर है। अच्छा यही होगा कि चुपचाप जितना पैसा भरना है भर देते हैं। उधर विपक्षी नेता इस प्रणाली में दोष निकाल रहे थे। बाकी दुनिया भर के अर्थशास्त्री अपनी-अपनी राय दे रहे थे। लेकिन अब दुनिया भर के देशों को लोन देने वाला वर्ल्ड बैंक ने भी मान लिया है कि भारत का नया टैक्स सिस्टम जीएसटी वाकई काफी मुश्किल कर प्रणाली है। इसे समझना किसी भी आम आदमी की बस की बात नहीं और अर्थव्यवस्था के लिए यह कतई अच्छा नहीं है।

वर्ल्ड बैंक ने जीएसटी को बहुत जटिल बताया है। वर्ल्ड बैंक की ‘इंडिया डेवलपमेंट अपडेट’ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में जीएसटी का फॉर्म सबसे मुश्किल है और इसकी टैक्स दरें दुनिया में दूसरी सबसे ऊंची हैं। विश्व बैंक की बुधवार को जारी रिपोर्ट में भारत में लागू जीएसटी को पाकिस्तान और घाना की श्रेणी में रखा गया है। इंडिया डेवलपमेंट अपडेट कि रिपोर्ट के अनुसार, 115 देशों में भारत में टैक्स रेट दूसरा सबसे ज्‍यादा है। मोदी सरकार ने 1 जुलाई, 2017 को GST लागू किया था और इसमें 5 स्लैब (0, 5, 12, 18 और 28 फीसद) बनाए गए हैं। यह रिपोर्ट 14 मार्च को जारी की गई है। बता दें कि रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 49  देशों में जीएसटी की एक दर लागू है जबकि 28  देशों में दो तरह की कर दरें हैं। भारत समेत सिर्फ पांच देशों में ही चार अलग-अलग तरह की कर दरें हैं।

इसके अलावा वर्ल्ड बैंक ने GST के बाद टैक्स रिफंड की धीमी रफ्तार पर भी चिंता जताई है। रिपोर्ट के अनुसार इसका असर कैपिटल की उपलब्धता पर पड़ता है। इस रिपोर्ट में टैक्‍स प्रणाली के प्रावधानों को अमल में लाने पर होने वाले खर्च को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं. विश्व बैंक ने अंतरराष्ट्रीय अनुभवों के आधार पर भविष्य में स्थिति में सुधार आने की उम्मीद जताई है। बता दें कि इससे पहले वर्ल्ड बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा था कि GST और नोटबंदी के चलते शुरुआत में भारतीय अर्थव्यवस्था को जरूर नुकसान पहुंचा है, लेकिन 2019-20 तक भारत की अर्थव्यवस्था 7.5 फीसदी की दर से विकास करेगी।

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