अप्रैल का महीना साल का ऐसा महीना होता जिसमें सभी कंपनी के कर्मचारियों को सैलेरी बढ़ने की उम्मीद रहती है। ऐसे में अगर कोई कंपनी इसी महीने अपने कर्मचारियों को कंपनी से निकाल दे तो क्या होगा…? ऐसा ही कुछ देश की तीसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर  कंपनी WIPRO ने किया है। विप्रो ने अपने कंपनी से 600 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है और अनुमान लगाया जा रहा है कि निकाले गए कर्मचारियों की संख्या 2,000 तक भी पहुंच सकती है। विप्रो ने यह कदम वार्षिक परफोर्मेंस अप्रेजल के आधार पर उठाया है।

इस बारे में विप्रो ने कहा कि वह अपने कारोबार लक्ष्यों का अपने कार्यबल के साथ तालमेल बैठाने के लिए नियमित आधार पर कर्मचारियों के कामकाज का मूल्यांकन करती रहती है। विप्रो ने बताया कि यह प्रक्रिया कंपनी की रणनीतियों, प्राथमिकताओं और ग्राहकों की जरूरत के अनुसार किया जाता है। ऐसे में कुछ कर्मचारियों को नौकरी छोड़नी पड़ती है। हालांकि कंपनी से निकाले गए कर्मचारियों ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है।

गौरतलब है कि बुधवार को आईटी सेक्टर में काम करने वाले भारतीयों को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा झटका दिया था। ट्रंप ने एच1बी वीजा कार्यक्रम के नियम कड़े करने के मकसद से एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किया था। निकाले गए कर्मचारी जॉब से निकाले जाने की सबसे बड़ी वजह अमेरिका के इसी कदम को मान रहे है। इसके अलावा अमेरिका को छोड़कर दुनिया के बड़े आई.टी सेक्टर के देश जैसे सिंगापुर, यू.के., ऑस्ट्रेलिया में भी भारतीय इंजीनियरों को जॉब पाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 

आई.टी सेक्टर में कर्मचारियों की जॉब जाने की दिक्कत थमने का नाम नहीं ले रही हैं। विप्रो से पहले एक और आई.टी कंपनी ग्लोबल आई.टी कंपनी काग्रिजेंट से भी भारी मात्रा में कर्मचारियों को निकाला गया था। अब देश की एक प्रमुख कंपनी की इतनी बड़ी छटनी के बाद आईटी सेक्टर में तनाव बढ़ सकता है।

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